MP NEWS- भाजपा में विधायक करेंगे सर्वे, रिपोर्ट में बताएंगे दावेदारों के नाम

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के पहले पॉलिटिकल पार्टियां अपने अपने तरीके से सर्वे करवा रही है। कांग्रेस पार्टी के मुखिया कमलनाथ ने कार्यकर्ताओं की रायशुमारी और दिग्विजय सिंह के फीडबैक के अलावा प्रोफेशनल एजेंसियों को हायर किया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने दूसरे राज्यों के विधायकों को बुलाया है। वह मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर अपनी टीम के साथ सर्वे करेंगे और फिर रिपोर्ट सौंपेंगे। उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र के चुनिंदा विधायक भोपाल आएंगे, 19 अगस्त को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश मौजूद रहेंगे। इस दौरान बता दिया जाएगा कि काम कैसे करना है। 20 अगस्त को सभी अपने-अपने क्षेत्र में रवाना हो जाएंगे। जहां वे एक सप्ताह कैंप कर जानकारी जुटाकर रिपोर्ट तैयार करेंगे। ये जो भी काम करेंगे वह गोपनीय होगा। ये उसमें स्थानीय नेताओं का सहयोग नहीं लेंगे।

विधायक ही बता सकता है कि किस दावेदार में कितना दम है

भाजपा के सूत्रों ने बताया कि, जनाधार वाले सभी नेता दावेदारी करते हैं और यह एक अच्छी परंपरा है, लेकिन यह पता लगाना काफी कठिन काम है कि किस दावेदार में कितना दम है। किस की स्थिति पूरी विधानसभा में मजबूत है और यदि अंतिम समय में कोई ऊंच-नीच होती तो किस दावेदार में इतनी क्षमता है कि वह परिस्थितियों का सामना करते हुए जीत हासिल कर पाएगा। इसमें दावेदार की पर्सनालिटी, टेंपरामेंट, डेडीकेशन और डिसीजन मेकिंग कैपेसिटी सहित कई बिंदुओं पर ध्यान दिया जाता है। जब दावेदार टिकट के लिए एलिजिबल पाया जाता है तब विधानसभा में उसकी स्थिति और तमाम प्रकार के समीकरणों को समझने के लिए सर्वे किया जाता है। यह एक कठिन काम है जिसे एजेंसियों से नहीं कराया जा सकता। 

सर्वे टिकट देने के लिए नहीं बल्कि टिकट काटने के लिए होते हैं

राजनीतिक मामलों की समझ रखने वाले एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि, ज्यादातर सर्वे का आयोजन टिकट देने के लिए नहीं बल्कि टिकट काटने के लिए किया जाता है। मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीट हैं। दोनों पार्टियों की ओर से 150 सीटों पर बड़ी मजबूती से काम किया जा रहा है। दोनों पार्टियों के नेता इन 150 सीटों को व्यक्तिगत रूप से मॉनिटर कर रहे हैं और दोनों से बड़ा सर्वेयर कोई नहीं हो सकता। कई बार परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि, असंतुष्ट नेताओं को यह बताना संभव नहीं होता कि किसी व्यक्ति को किस कारण से अधिकृत प्रत्याशी चुना गया है। सबसे आसान काम होता है, दावेदार को उसकी कमजोरी के बारे में बता देना। उसके बाद वह अपने स्थानीय झगड़ों में व्यस्त हो जाता है और पार्टी को नुकसान नहीं होता। 

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