मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के अनुसार शासन ने राज्य की समस्त भूमि को निर्धारित उपयोग के लिए आरक्षित किया है। कुछ जमीन जंगल के लिए, कुछ जमीन खेती के लिए और कुछ जमीन रेजिडेंशियल यानी इंसानों के रहने के लिए घोषित की गई है। कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से रेजिडेंशियल जमीन में खेती नहीं कर सकता और जंगल अथवा खेती की जमीन पर कॉलोनी नहीं बना सकता। यदि कोई ऐसा करता है तो उस कॉलोनी को अवैध घोषित कर दिया जाता है परंतु सवाल यह है कि अवैध घोषित की गई कॉलोनी की जमीन का मालिक कौन होता है।
मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम, 1982 की धारा 32 की परिभाषा
शासन की अनुमति के बिना खेती अथवा अन्य किसी कार्य के लिए आरक्षित भूमि पर रेजिडेंशियल प्लॉट बनाकर बेचने वाले कॉलोनाइजर को मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम,1982 की धारा 27 के तहत 3 साल कठोर कारावास के दंड से दंडित किया जाता है। मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के अनुसार शासन द्वारा लोगों को विशेष उपयोग के लिए भूमि दी जाती है।
यदि कोई व्यक्ति भू राजस्व संहिता का उल्लंघन करता है। खेती अथवा अन्य किसी उपयोग के लिए आरक्षित भूमि पर रेजिडेंशियल प्लॉट अथवा मकान बना देता है। तब वह भूमि मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1982 की धारा 32 के तहत शासन द्वारा अधिग्रहित कर ली जाएगी।
यहां याद रखना अनिवार्य है कि मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के अनुसार समस्त भूमि का स्वामी मध्यप्रदेश शासन है। वह लोगों को एक निश्चित उपयोग के लिए निर्धारित शर्तों के अंतर्गत भूमि देता है और आवश्यकता पड़ने पर अथवा राजस्व संहिता के नियमों का उल्लंघन होने पर अधिग्रहित करने का अधिकार रखता है। रजिस्ट्री का मतलब जमीन के उपयोग का अधिकार है, स्वामित्व नहीं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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