आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 03 के अनुसार केन्द्र सरकार या राज्य सरकार व्यक्तियों को आवश्यक वस्तु बेचने के लिए लाइसेंस प्रदान करती है। इसके अंतर्गत प्रमुख तौर पर पेट्रोल, डीजल, कच्चा तेल, खाद्य पदार्थ, दाल, चावल, गेंहू, शक्कर, आटा, दवाइयां आदि आते हैं। जो व्यक्ति के जीवन के लिए आवश्यक वस्तु होती है। अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर आवश्यक वस्तु के वितरण में कोई लापरवाही करता है तो उसके खिलाफ मध्यप्रदेश में विशेष कानून के अंतर्गत क्या कानूनी कार्यवाही होगी जानिए।
मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम,1982 की धारा 33 की परिभाषा
अगर कोई आवश्यक वस्तु लाइसेंस धारी विक्रेता वस्तु को बेचते समय लोक वितरण प्रणाली योजना के तहत किसी वस्तु को दूसरे व्यक्ति के नाम पर देगा, वितरण करते समय कोई मिथ्या कार्य करेगा, बनाबटी लेखा जोखा रखेगा या किसी अन्य प्रकार की लापरवाही करेगा वह व्यक्ति अधिनियम की धारा 33 के अंतर्गत दोषी होगी।
साधारण शब्दों में कहे तो कोई राशन विक्रेता भ्रष्टाचार के उद्देश्य से किसी अन्य व्यक्ति को राशन वितरण कर देता है या कोई भी गड़बड़ी करता है तब वह व्यक्ति भी इसी धारा के अंतर्गत दोषी होगा।
Madhya Pradesh Specified Corrupt Practices Prevention Act, 1982 Section 33 punishment
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध हैं अर्थात थाना अधिकारी तुरंत मामले का संज्ञान ले सकता है। इनकी सुनवाते किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। सजा इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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