भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में यदि किसी सरकारी कर्मचारी ने अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी कर ली है तो इस अपराध के लिए उसकी सेवाएं समाप्त नहीं की जा सकती क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली के नियम 29 में दूसरी शादी करने वाले शासकीय सेवक को पदच्युत करने का प्रावधान नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली के नियम 29
उपरोक्त फैसला उत्तर प्रदेश राज्य के इलाहाबाद हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र ने सुनाया। याचिकाकर्ता को दिनांक 8 अप्रैल 1999 जिला विकास अधिकारी, बरेली कार्यालय में नियुक्त किया गया था। नियुक्ति के बाद याचिकाकर्ता ने दूसरी शादी कर ली। जैसे ही यह जानकारी डिपार्टमेंट को मिली, याचिकाकर्ता पर कदाचार का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की गई और सुनवाई की प्रक्रिया के बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि विभाग द्वारा उसकी दूसरी शादी की सूचना के आधार पर कार्रवाई की। कोई फिजिकल वेरीफिकेशन नहीं किया गया। किसी प्रकार की जांच नहीं हुई और उसे बर्खास्त कर दिया गया।
अनुमान के आधार पर दंडित करना कानून के अनुरूप नहीं
जब विभागीय अपील भी खारिज हो गई तब कर्मचारी ने हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। यहां सभी पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र ने कर्मचारी को बर्खास्त किए जाने वाला आदेश निरस्त करने का आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 में जिस प्रकार के निर्देश निर्धारित किए गए हैं, उसके अनुरूप न्यायालय के समक्ष कोई सामग्री प्रस्तुत नहीं की गई। कर्मचारी को दूसरी शादी का अनुमान के आधार पर पदच्युत कर दिया गया। अनुमान के आधार पर दंडित करना कानून के अनुरूप नहीं माना जा सकता।
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