खुद को समझदार मानना अच्छी बात है लेकिन सामने वाले को बेवकूफ समझना बड़ी बेवकूफी होती है। कार्य सिद्धि तो नहीं होता, उल्टा हंसी के पात्र बन जाते हैं। भोपाल की काली अशोक नदी के मामले में ऐसा ही हुआ। नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों ने NGT को बताया कि, नदी ने खुद अपना रास्ता बदल दिया है। अतिक्रमण के कारण नदी को कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। इस जवाब पर जूरी ने अधिकारियों की जमकर लताड़ लगाई।
अधिकारियों ने NGT को बेवकूफ बनाने की कोशिश की
एनजीटी ने पांच साल पहले नदी की जमीन से अतिक्रमण हटाकर दोनों ओर 33-33 मीटर ग्रीन बेल्ट विकसित करने का आदेश दिया था। लेकिन, इस आदेश का पालन नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में एग्जीक्यूशन पिटीशन दायर की गई। जिस पर सुनवाई के दौरान नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों ने आदेश का पालन नहीं करने के पीछे तर्क दिया कि नदी किनारे लोगों ने अतिक्रमण नहीं किया है, बल्कि नदी ने ही अपना रास्ता बदल लिया है, इस कारण ऐसी स्थिति बन रही है।
भोपाल ब्लैक बेसाल्ट रॉक वाला पठारी क्षेत्र है
जस्टिस की जूरी ने अफसरों के इस जवाब पर लताड़ लगाते हुए कहा कि हमें बेवकूफ मत बनाइए, ब्लैक बेसाल्ट के किनारों वाली नदियां कभी अपने रास्ते नहीं बदलती हैं। नदियों के रास्ते बदलने के मामले मैदानी क्षेत्रों में सामने आते हैं। जबकि भोपाल ब्लैक बेसाल्ट रॉक वाला पठारी क्षेत्र है।
कोलार में अतिक्रमण हटाने की लास्ट डेट 31 दिसंबर
एनजीटी ने राज्य शासन को कहा है कि एक माह के अंदर नदी के राजस्व नक्शे के हिसाब से सीमांकन कर नदी की बाउंड्री फिक्स की जाए। इसके बाद 31 दिसंबर तक सभी अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई की जाए। हालांकि, आदेश अभी अपलोड नहीं हुआ है। संभवत: सोमवार तक आदेश जारी हो सकते हैं। एनजीटी ने 10 जनवरी 2024 तक राज्य सरकार से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है।
✔ पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए। ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। ✔ यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। ✔ यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल - व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ स्पेशल भी होता है।