Legal general knowledge and law study notes
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति आपने मूल अधिकारों को लागू करवाने एवं राज्य सरकार के या केन्द्र सरकार के किसी अवैधानिक कानून, नियम, आदेश, निर्देश को बदलने के लिए हाईकोर्ट में रिट लगा सकता है। जब कोई विवाद चुनाव प्रक्रिया से संबंधित हो और चुनाव प्रारंभ हो गए हैं जैसे की चुनाव चिन्हों को लेकर विवाद का पार्टियों को लेकर विवाद हो गया है तब क्या चुनाव के मध्य हाईकोर्ट सुनवाई कर सकता है या नहीं जानिए इस पर सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय।
एस. टी. मुथुस्वामी बनाम के. नटराजन
उक्त मामले में न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि अनुच्छेद 226 के अधीन उच्च न्यायालय को चुनाव प्रक्रिया के मध्य किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पीड़ित पक्षकार चुनाव के पश्चात चुनाव याचिका द्वारा चुनाव की विधिमान्यता को चुनौती दे सकते हैं, जो इसके लिए एक प्रभावी वैकल्पिक उपचार है।
कृपया नोट करें कि, भारत में चुनाव प्रक्रिया का संचालन भारत निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है जो एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है। अर्थात यदि किसी प्रत्याशी अथवा अन्य व्यक्ति को लगता है कि चुनाव प्रक्रिया में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ है तो वह भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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