Legal general knowledge and law study notes
संपत्ति मामलों में न्यायालय द्वारा पक्षकार को डिक्री जारी कर दी जाती है, लेकिन यदि विरोधी पक्षकार किसी दूसरे जिले अथवा किसी अन्य राज्य में निवास करता है तब स्थानीय न्यायालय द्वारा जारी डिक्री अनुपयोगी हो जाती है। आइए जानते हैं कि स्थानीय न्यायालय द्वारा जारी की गई डिक्री के आधार पर किसी दूसरे जिले अथवा राज्य में रहने वाले विरोधी पक्षकार की संपत्ति कुर्की किस कानून के तहत करवाई जा सकती है।
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 48 की परिभाषा
1. जब कभी डिक्री पारित करने वाले न्यायालय को डिक्रिधारी के आवेदन पर लगता है कि किसी ऐसे अन्य न्यायालय को जो उस डिक्री के लिए सक्षम हैं, आज्ञा-पत्र निकाल सकेगा कि वह विरोधी पक्षकार की आज्ञा पत्र द्वारा उसकी संपत्ति कुर्की करेगा।
2. सक्षम न्यायालय किसी अन्य अधिकारिता वाले न्यायालय को आज्ञा पत्र भेजेगा और वह न्यायालय वैसे ही कार्यवाही करेगा जैसे की कार्यवाही उसी न्यायालय द्वारा की जा रही है।
अर्थात डिक्री जारी करने वाले न्यायालय की अधिकारिता भले ही सीमित हो परंतु डिक्री की पावर सीमित नहीं होती। यह भारत देश के हर क्षेत्र में शक्तिशाली है, जो किसी भी न्यायालय के अंतर्गत आता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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