मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में द केरला स्टोरी जैसी कहानी सामने आई है। बालाघाट से पढ़ने आई आदिवासी लड़की को अपने जाल में फंसाया। उसे उसकी सामाजिक व्यवस्थाओं के प्रति भड़काया, लालच दिया और डराया। इस पर भी काम नहीं बना तो कमरे में बंधक बना लिया। इस मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है क्योंकि पुलिस ने लड़की को मौके से मुक्त कराया परंतु ना तो आरोपी को गिरफ्तार किया और ना ही कोई मामला दर्ज किया। बल्कि लड़की को बालाघाट वापस भेज दिया।
पहली मुलाकात में आकर्षित कर लिया था
22 साल की छात्रा भोपाल के पशुपालन पत्रोपाधि महाविद्यालय में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट है। उसने अपनी शिकायत में महिला थाना पुलिस को बताया कि, वह बालाघाट की रहने वाली है। 4 महीने पहले पशुपालन अस्पताल में पशुओं के इलाज के संबंध में कुछ बिंदुओं को सीखने के लिए लगातार दो दिन भेजा गया था। यहीं पर अनम सैयद नाम की युवती से जान पहचान हुई थी। वह नारियल खेड़ा के पीपल चौराहा नामक स्थान पर स्थित एक मकान में बतौर किराएदार रहती थी। मुझे भी कोई सस्ता विकल्प चाहिए था। उसने साथ रहने का ऑफर दिया। पर दोनों एक ही रूम में साथ रहने लगे।
कुछ दिन बाद ब्रेनवाश करना शुरू कर दिया
शुरुआत में उसका व्यवहार ठीक था लेकिन कुछ दिन बाद उसने ब्रेनवाश करना शुरू कर दिया। अपने साथ नमाज पढ़ने के लिए प्रेरित करती थी। हिजाब पहनने के लिए मोटिवेट करती थी। रूम शेयर करते समय तय हुआ था कि दोनों अपने अपने तरीके पूजा पाठ कर सकते हैं और कोई एक दूसरे पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा परंतु बाद में वह कहने लगी कि यहां पर तुम अपनी आरती प्रार्थना नहीं कर सकते। कहती थी कि तुम अनुसूचित जाति जनजाति के लोग हो। हमारे यहां तुम्हें सम्मान मिलेगा।
जब इस से बात नहीं बनी तो उसने एक साजिश रची। उससे मिलने के लिए हामिद मियां नाम का एक व्यक्ति आता था। वह अक्सर रात 8:00 बजे आता था और 11:00 बजे वापस जाता था। जब मैं सो रही थी तब हामिद मियां ने मेरे साथ आपत्तिजनक हरकत की। उसके नजदीक अनम खड़ी हुई थी।
बंधक बना लिया था, पुलिस ने आकर मुक्त कराया
जब मैंने कहा कि अब मैं यहां नहीं रहूंगी। शिफ्ट कर रही हो तो अनम ने रूम को बाहर से बंद कर दिया। मैंने अपनी मां को फोन पर सब कुछ बताया। उसने मुझसे मेरा मोबाइल छीन लिया। तब तक मां ने मुंह बोले भाई सोनू को सारी बात बता दी। सोनू लेने के लिए आया तो, उसे भी इन लोगों ने भगा दिया। इसके बाद सोनू गौतम नगर पुलिस थाने गया और पुलिस को लेकर वापस आया। तब जाकर मुक्त हुई। पुलिस मुझे थाने लेकर आई फिर मेरे भाई के मुझे बालाघाट भेज दिया। 3 अगस्त को परीक्षा देने के लिए भोपाल आई थी और 4 अगस्त को महिला थाने में मामला दर्ज करवाया।
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