किसी भी यूनिवर्सिटी में शिक्षा सत्र के अंत में पता चलता है कि मैनेजमेंट स्टूडेंट्स को कितने नंबर दिए और शिक्षा सत्र के प्रारंभ में एडमिशन की प्रक्रिया के बाद पता चलता है कि स्टूडेंट्स ने मैनेजमेंट को कितने नंबर दिए। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कैंपस में संचालित यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मेरिट लिस्ट में इस बार इंदौर और ग्वालियर के भी नीचे चला गया। डायरेक्टर भदौरिया का मानना है कि उनके संस्थान में इस गिरावट के लिए वह और उनकी टीम जिम्मेदार नहीं है।
UIT-RGPV मैनेजमेंट के लिए शर्मनाक नतीजे
कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (CSE) के लिए UIT-RGPV में स्टेट कटऑफ रैंक 89161 रही। पिछले साल की तुलना में यह 8082 रैंक नीचे आई है। साथ ही यूआईटी-आरजीपीवी की सीएसई की कटऑफ रैंक इंदौर के आईईटी- डीएवीवी की कटऑफ से 42,372 रैंक नीचे आई है। आरजीपीवी जो एक टेक्निकल यूनिवर्सिटी हैं। इसके बाद भी जेईई में अच्छी रैंक प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स इसकी अपेक्षा इंदौर के परंपरागत विवि के कैंपस में संचालित यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आईईटी में एडमिशन लेना पसंद करते हैं। वहीं GSITS और MITS आरजीपीवी से संबद्ध कॉलेज हैं। इसके अलावा बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी का यूआईटी तो परफॉर्मेंस भी बहुत खराब है।
डायरेक्टर भदौरिया जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं
इतने शर्मनाक नतीजों पर भी UIT-RGPV के डायरेक्टर प्रोफेसर एसएस भदौरिया जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। सन 2023 में जब अच्छी पढ़ाई के लिए विद्यार्थी दुनिया के दूसरे कोने तक जा रहे हैं, प्रोफ़ेसर भदौरिया का कहना है कि, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के स्टूडेंट इंस्टिट्यूट देखकर नहीं बल्कि शहर देखकर एडमिशन लेते हैं। उन्हें भोपाल की तुलना में इंदौर में पढ़ाई करना पसंद है।
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