मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग के आयुक्त श्री राहुल सिंह ने रीवा के एक टैक्स चोर ठेकेदार की सुरक्षा में 3 साल से तैनात वाणिज्य कर अधिकारियों को जमकर लताड़ा और चेतावनी दी। वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी, टैक्स चोरी के मामले का खुलासा करने वाले को पुरस्कृत करने के बजाए परेशान कर रहे थे। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने पर दिखावे की कार्रवाई करके शिकायत बंद कर दी थी। आरटीआई के तहत जानकारी देने से मना कर दिया था। कहा था कि इससे कोई लोकहित नहीं है। जबकि सब जानते हैं कि टैक्स चोरी द्रोह और टैक्स चोरी का खुलासा करना देश भक्ति है।
CM HELPLINE पर शिकायत की तब वाणिज्य कर डिपार्टमेंट ने एक्शन लिया
दरसल रीवा के रामायण प्रसाद गौतम ने जल उपभोक्ता संस्था शाहपुर में ठेकेदार विमलेश त्रिपाठी के द्वारा करोडो रूपये के भुगतान में कमर्शियल टैक्स की चोरी की शिकायत आयुक्त वाणिज्यिकर से की थी। जब मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो गौतम ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत कर कहा कि वाणिज्यिकर विभाग के अधिकारियों ने मामले को जानबूझकर दबा दिया है। सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत होने पर वाणिज्यिकर अधिकारी हरकत में आए और उन्होंने ठेकेदार विमलेश त्रिपाठी के प्रकरण में जांच कर लाखों रुपए की टैक्स चोरी का मामला बनाया और वसूली की कार्रवाई की गई। तब इस मामले में हुई कार्रवाई की कुछ जानकारी वाणिज्यिकर डिपार्टमेंट ने गौतम को सीएम हेल्पलाइन पर भी बताया।
CM HELPLINE में शिकायत क्लोज करवाने दिखावे की कार्रवाई हुई थी
बाद में गौतम को पता चला सीएम हेल्पलाइन पर उनकी शिकायत के बाद शुरुआती तौर पर कुछ दिखावटी कार्रवाई तो की गई पर आगे मामले में लीपा पोती की गई है। इसीलिए उन्होंने सितंबर 2020 में आरटीआई लगा करके सीएम हेल्पलाइन पर की गई शिकायत का जिक्र करते हुए डिपार्टमेंट से टैक्स चोरी के मामले में हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी। पर विभाग ने तीसरे पक्ष के व्यावसायिक हितों को नुकसान और कोई लोकहित नहीं होने को आधार बनाते हुए गौतम को जानकारी देने से मना कर दिया।
वाणिज्य कर विभाग को टैक्स चोरों की चिंता: राज्य सूचना आयुक्त
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह कहा कि ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत गौतम को 30 दिन के भीतर जानकारी मिल जानी चाहिए थी। पर अधिकारियों के गलत ढंग से जानकारी रोकने के बाद अब आयोग के आदेश के बाद 3 साल की देरी से जानकारी दी जा रही है। सिंह ने आदेश में लिखा कि कमर्शियल टैक्स की चोरी गम्भीर विषय है। राजस्व का नुकसान होने से ये देशहित में भी नहीं है। सूचना आयुक्त ने माना कि तत्कालीन उपायुक्त वाणिज्यिकर एवं आयुक्त वाणिज्यिकर ने विधि विरुद्ध कार्यवाही करते हुए तीसरे पक्ष के व्यवसायिक हितों को नुकसान बताते हुए और लोकहित ना होने के आधार पर जानकारी को रोका है।
सिंह ने कहा कि ऐसे मामलों में जिसमे टैक्स चोरी शिकायतकर्ता द्वारा स्वयं उजागर की गई हो, उसमें वाणिज्यिकर विभाग के अधिकारियों को तीसरे पक्ष के व्यवसायिक नुकसान की चिन्ता नहीं होनी चाहिए और बल्कि लोकहित की चिन्ता ज्यादा होनी चाहिए।
सूचना आयुक्त की वाणिज्य कर अधिकारियों को चेतावनी
सिंह ने जानकारी को गलत ढंग से रोकने के लिए वाणिज्यिकर विभाग के अधिकारियों को भविष्य के लिए सचेत किया। सिंह ने कहा कि इस तरह के मामलों में पारदर्शिता बहुत जरूरी है। सिंह ने आदेश में लिखा कि इस मामले में लोकहित स्पष्ट है क्योंकि टैक्स चोरी में कार्रवाई में लीपा पोती के गंभीर आरोप गौतम ने लगाए है। तीसरे पक्ष के लोकहित प्रभावित होने के नाम पर जानकारी रोकने पर सिह ने कड़ी अप्पति लेते हुए कहा कि यहां लोकहित एक ऐसे ठेकेदार जिसके द्वारा टैक्स चोरी की गयी है उसको बचाते हुए वाणिज्यकर विभाग के अधिकारी दिख रहे है। सिंह ने स्पष्ट किया कि आरटीआई आवेदक गौतम इस टैक्स चोरी के प्रकरण में शिकायतकर्ता भी है जिनकी स्वयं की शिकायत के आधार पर ही वाणिज्यकर विभाग द्वारा वाणिज्यकर चोरी का प्रकरण पकड़ में आया। इस आधार पर शिकायतकर्ता यह जानने के हकदार है कि उनकी शिकायत पर नियम अनुरूप क्या कार्यवाही की गयी है।
वाणिज्यिकर विभाग एक रेगुलेटरी ऑथोरिटी
सूचना आयुक्त ने वाणिज्यिकर विभाग की भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि विभाग की भूमिका एक रेगुलेटरी अथॉरिटी के रूप में स्थापित होती है जिसका काम यह सुनिश्चित करना है कि वाणिज्यिकर नियम के अनुरूप संस्था और व्यक्तिओं से टैक्स वसूली की कार्यवाही सुनिश्चित हो। सिंह ने बताया कि वाणिज्यिकर विभाग का रेगुलेटरी अथॉरिटी के होने के नाते यह भी उद्देश्य स्पष्ट है कि गैरकानूनी रूप से अगर कोई टैक्स चोरी कर रहा है, तो ऐसे मामलों में नियम अनुरूप कार्यवाही करे ना कि किसी तीसरे पक्ष की चिन्ता करते हुए टैक्स चोरी करने वाले ठेकेदारों की व्यवसायिक हितों की रक्षा करे।
RTI के तहत जानकारी देना नियम और रोकना अपवाद: सूचना आयुक्त
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि, सूचना का अधिकार अधिनियम के Preamble में यह स्पष्ट है कि इस अधिनियम का मूल मकसद प्रशासनिक स्तर पर पारदर्शी और भ्रष्टाचार निरोधी व्यवस्था स्थापित करते हुए शासन और प्रशासन को उत्तरदायी बनाने का है। उक्त प्रकरण में वाणिज्यकर चोरी भ्रष्टाचार से संबंधित विषय है एवं स्पष्ट तौर से अधिनियम के मूल अवधारणा के अनुरूप आरटीआई आवेदक को उपलब्ध कराने योग्य जानकारी है। सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा के तहत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में इस बात को रेखांकित किया है कि जानकारी को देना अधिनियम की धारा 3 के तहत एक नियम है और धारा 8 के तहत जानकारी न देना एक अपवाद है। अधिनियम की धारा 8 की व्याख्या लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी को इस तरह नहीं करनी चाहिए कि जिस प्रयोजन से सूचना प्राधिकारी अधिनियम का जन्म हुआ उसी पर सवालिया निशान लग जाए।
लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी के तथ्यों को सामने रखते हुए जनहित के आधार पर सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आरटीआई आवेदन का ऐसे निराकरण करना चाहिए जिससे सरकार में भ्रष्टाचार निरोधी पारदर्शी व्यवस्था का निर्माण हो सके। सूचना आयुक्त ने स्पष्ट किया कि आरटीआई आवेदक को जानकारी देने से टैक्स चोरी के प्रकरण में जवाबदेही एवं पारदर्शी व्यवस्था सुनिशित होगी।
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