विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए संतान पालन अवकाश लेना मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी श्रीमती निशा बांगरे को भारी पड़ गया। एक तरफ राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी अपने क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे हैं तो दूसरी तरफ हाई कोर्ट से निराश होकर लौटी डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे न्याय यात्रा पर निकल पड़ी है। यह उनका पहला राजनीतिक प्रदर्शन कहा जा सकता है परंतु नोट करने वाली बात यह है कि अमला विधानसभा क्षेत्र के 50 लोग भी उनके साथ न्याय यात्रा में पैदल नहीं चल रहे हैं।
उम्मीद थी कि, उनके साथ सैलाब, भोपाल की तरफ बढ़ेगा
शनिवार को आज श्रीमती निशा बांगरे की न्याय यात्रा का दूसरा दिन था। पाथाखेड़ा सारणी में थोड़ी बहुत भीड़ दिखाई दी। लोगों का साथ थोड़ी देर तक था सूर्यास्त होते ही सब अपने घरों को चले गए। जब श्रीमती श्रीमती निशा बांगरे ने न्याय पदयात्रा का ऐलान किया था तो उम्मीद की जा रही थी कि, उनके साथ आमला के लोगों का सैलाब भोपाल की तरफ बढ़ेगा। यह संख्या इतनी ज्यादा होगी कि बैतूल जिला प्रशासन के माथे पर पसीने की बूंदे दिखाई दे जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
श्रीमती निशा बांगरे- न्याय पदयात्रा क्यों कर रही हैं
श्रीमती निशा बांगरे, बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री कमलनाथ से मुलाकात हो चुकी है। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है परंतु विभागीय जांच के चलते उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया जा रहा। इस संबंध में सबसे पहले उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया परंतु जब हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली और चुनाव की तारीख नजदीक आने लगी, तो अपना इस्तीफा मंजूर करवाने के लिए, न्याय पदयात्रा शुरू की है।
श्रीमती निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर क्यों नहीं कर रही सरकार
मध्य प्रदेश में हर विधानसभा चुनाव में कई सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी अपने पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग अपने हेड ऑफ द डिपार्टमेंट को विश्वास में लेकर चुनाव की रणनीति बनाते हैं और इस्तीफा देने के बाद चुनाव की तैयारी करते हैं। श्रीमती निशा बांगरे, मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी हैं। उन्हें छुट्टी के दिन भी प्रोटोकॉल का पालन करना होता है। छतरपुर में पद स्थापना के दौरान उन्होंने संतान पालन अवकाश लिया, लेकिन सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गई। जब सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से कसावट की गई तो गुस्से में आकर इस्तीफा दे दिया और फिर सार्वजनिक रूप से बयान बाजी शुरू कर दी। बस यही गलती कर दी। यदि सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होना था, तो पहले अपना इस्तीफा मंजूर करवा लेना चाहिए था।
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