BEd वाले प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त मामले में हाईकोर्ट ने अधिवक्ता से स्पष्टीकरण मांगा - NEWS

Madhya Pradesh government primary school teacher- high Court news 

BEd डिग्री वाले प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में आज न्यायालय ने 1000 से अधिक उम्मीदवारों के अधिवक्ता से स्पष्टीकरण मांग लिया है। इन सभी उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में इंटरवीन याचिका दाखिल की है परंतु अपनी याचिका और शपथ पत्र में तथ्यों को छुपा लिया था। 

प्राथमिक शिक्षक के पद हेतु योग्यता के निर्धारण का विवाद एवं सुप्रीम कोर्ट का फैसला

मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिनांक 30 जुलाई 2018 को शिक्षक सेवा संवर्ग नियमों तथा भारत सरकार के पत्र के आधार पर NCTE- राष्ट्रीय शिक्षा परिषद द्वारा दिनांक 18 जून 2018 को जारी परिपत्र की संवैधानिक ताको अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा संविधान के अनुच्छेद 21-A तथा RTE ACT 2009 के असंगत बताते हुए माननीय न्यायालय में चुनौती दी गई है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में उक्त याचिका क्रमांक WP/13768/2022 की सुनवाई 7 जुलाई 2023 से प्रारंभ हुई। इसी दिन उच्च न्यायालय द्वारा विस्तृत अंतरिम आदेश पारित किया गया जिसके तहत समस्त प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियां इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दी गई। इस याचिका में दावा किया गया था कि B.Ed डिग्री धारण करने वाले उम्मीदवार प्राथमिक शिक्षक के पद के लिए अयोग्य हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 11 अगस्त 2023 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित को असंवैधानिक घोषित कर दिया है:-
NCET द्वारा दिनांक 18 जून 2018 को जारी सर्कुलर।
भारत सरकार द्वारा NCET को जारी निर्देशों को, जिसके आधार पर NCET द्वारा सर्कुलर जारी करके B.Ed डिग्री धारण करने वाले उम्मीदवारों को प्राथमिक शिक्षक पद के लिए सशर्त योग्यता प्रदान कर दी। 
NCET द्वारा निर्धारित की गई शर्त, कि नियुक्ति के 2 वर्ष के भीतर 6 महीने का एक ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य होगा। 

सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन उक्त याचिकाओं में मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के कई कैंडिडेट्स ने इंटरवीन किया था। इन्हीं कैंडिडेट्स ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबित याचिका क्रमांक 13768/2022 तथा WP 595/2023 में इंटरवीन किया गया। पता चला कि उम्मीदवारों द्वारा तथ्यों को छुपाया गया है। दिनांक 14 सितंबर 2023 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच के समक्ष उद्घाटित किया कि 1000 से अधिक अभ्यर्थियों ने संयुक्त रूप से तथा प्रथक-प्रथक, कई आवेदन दाखिल कर दिए हैं। इन सभी आवेदकों ने अपने आवेदन में तथा शपथ पत्र में यह नहीं बताया है कि इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लंबित कार्रवाई में भी भाग लिया था। 

अधिवक्ता के इस तर्क को गंभीरता से लेते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने इंटरवीन याचिका प्रस्तुत करने वाले उम्मीदवारों के अधिवक्ता को, सख्त नाराजगी जताते हुए 1 सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है। प्रकरण की अगली सुनवाई के लिए दिनांक 4 अक्टूबर 2023 की तारीख निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर पक्षी प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश शासन की ओर से श्री पीयूष और भारत सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलीसीटर जनरल श्री पुष्पेंद्र यादव प्रस्तुत हुए। इंटरवीन कर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री केसी घिड़याल एवं नरेंद्र सिंह रूपराह ने पक्ष रखा। 

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