भारत देश में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। विधि आयोग ने 3 साल तक जेल की सजा वाले अपराधों की ई-एफआईआर की सिफारिश कर दी है। अर्थात, छोटे-मोटे झगड़ा और चोरी आदि के मामलों की FIR कोई भी व्यक्ति अपने घर बैठे रजिस्टर्ड कर सकता है। इसके लिए उसे पुलिस थाना जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मामला दर्ज होते ही पुलिस इन्वेस्टिगेशन शुरू कर देगी।
भारत में आम नागरिकों को e-FIR की सुविधा से संबंधित मुख्य समाचार
भारत के विधि आयोग ने बुधवार को सरकार को सौंपी और शुक्रवार को सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में कहा है कि, विधि आयोग ने सिफारिश की है कि उन सभी संज्ञेय अपराधों के लिए ई-एफआईआर के पंजीकरण की अनुमति दी जानी चाहिए जहां आरोपी अज्ञात है और ऐसे सभी संज्ञेय अपराधों के लिए इसका दायरा बढ़ाया जाना चाहिए जिनमें नामजद आरोपी की स्थिति में तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है। आयोग के अनुसार प्रारंभिक चरण में ई-एफआईआर योजना का सीमित दायरा यह सुनिश्चित करेगा कि गंभीर अपराधों को दर्ज किये जाने और जांच के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के संबंध में कोई व्यवधान नहीं है।
e-FIR के लिए एक देश एक पोर्टल होगा
आयोग का कहना है कि e-FIR के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का पोर्टल बनाया जाना चाहिए ताकि पूरे देश में एक समान इंटरफेस हो और सब कुछ समान रूप से अनुशासन में चला रहे। शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्ति की पहचान, आधार सत्यापन इत्यादि की अनिवार्यता पर जोर दिया गया है। कुल मिलाकर, छोटे-मोटे मामले दर्ज करने की छूट आम नागरिकों को दी जाने वाली है। इस श्रेणी में आने वाले ज्यादातर मामले परिवार एवं पास पड़ोसियों के होते हैं। इन्हें दर्ज करने में पुलिस का काफी समय खर्च होता है और बाद में ज्यादातर मामलों में राजीनामा हो जाता है।
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