Legal general knowledge and law study notes
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 82 की उपधारा 04 के अनुसार कोई व्यक्ति हत्या, हत्या का प्रयास, हत्या के लिए अपहरण, चोट पहुंचाने के लिए अपहरण, चोरी के लिए मृत्यु या चोट पहुंचाने का अपराध (आईपीसी की धारा 302, 304, 364, 367, 382) एवं लूट और डकैती से संबंधित अपराध (भारतीय दण्ड संहिता की धारा 391 से 402 तक) एवं मकान को विस्फोट करना, किसी को मारने या चोट पहुंचाने या चोरी करने के लिए रात्रि या दिन में घर में घुसना (आईपीसी की धारा 436, 449, 459, 460) के आरोपी के खिलाफ न्यायालय उद्धघोषणा करेगा इन अपराधों की घोषणा के बाद भी आरोपी न्यायालय में हाजिर नहीं होता है तो उसके खिलाफ एक नई धारा के अंतर्गत एक और गंभीर मामला दर्ज होगा जानिए।
भारतीय दंड संहिता , 1860 की धारा 174 (क) के दूसरे भाग की परिभाषा
अगर कोई आरोपी व्यक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 82(4) के संज्ञेय अपराध का आरोपी है एवं न्यायालय द्वारा ऐसे आरोपी की उद्दघोषणा कर दी गई है, उसके बाद भी वह आरोपी न्यायालय में हाजिर नहीं होता है तब वह आरोपी व्यक्ति आईपीसी की धारा 174 ए के अंतर्गत भी आरोपी होगा। उसके खिलाफ एक नया मुकदमा कायम किया जाएगा।
Indian Penal Code, 1860 section 174(A) punishment
यह अपराध संज्ञेय एवं अज़मानतीय होते है। न्यायालय द्वारा यह मामला दर्ज होगा,सक्षम न्यायाधीश द्वारा ही जमानत मंजूर की जा सकती है। जमानत नामंजूर होने पर पुलिस गिरफ्तार कर लेगी। इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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