IPC 175- न्यायालय या सरकारी अधिकारी के समक्ष दस्तावेज पेश नहीं करना, पढ़िए परिभाषा और सजा

Legal general knowledge and law study notes

जब किसी व्यक्ति को कोई प्रशासनिक अधिकारी या कोई न्यायालय समन, सूचना, नोटिस या आदेश द्वारा किसी दस्तावेज को पेश करने के लिए बुलाता है और वह दस्तावेजों को पेश नहीं करता है तब ऐसे व्यक्ति पर प्रशासनिक अधिकारी या न्यायालय क्या कार्यवाही कर सकता है जानिए। 

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 175 की परिभाषा

यदि कोई व्यक्ति किसी लोकसेवक के समक्ष या न्यायालय के समक्ष कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है और वह व्यक्ति जानबूझकर कर दस्तावेजों को पेश नहीं करता है या लोप कर देता है तब वह आईपीसी की धारा 175 धारा के अंतर्गत दोषी होगा। उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा और सजा सुनिश्चित करने के लिए मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।

Indian Penal Code, 1860 section 175 punishment

यह अपराध असंज्ञेय एवं ज़मानतीय होते है। यानी पुलिस प्रकरण दर्ज करेगी, लेकिन पुलिस थाने में जमानत नहीं मिल पाएगी। सक्षम न्यायाधीश द्वारा ही जमानत मंजूर की जा सकती है। जमानत नामंजूर होने पर पुलिस गिरफ्तार कर लेगी। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम एक माह की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है, लेकिन न्यायालय में दस्तावेजों को नहीं पेश करने पर लिए छ: माह की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

नोट:- दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 349 के अनुसार उस न्यायालय में जहां अपराध का विचारण चल रहा है, वही इस अपराध के लिए दण्ड देगा अन्यथा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के मामले में कोई भी न्यायिक मजिस्ट्रेट कार्यवाही करेगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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