कुछ कानूनी प्रक्रिया ऐसी होती है जब भारत के किसी भी नागरिक को किसी सक्षम प्राधिकारी अथवा न्यायालय के समक्ष शपथ पत्र अथवा प्रतिज्ञा पत्र प्रस्तुत करना होता है। कुछ परिस्थितियों ऐसी होती है जब, वह व्यक्ति शपथ पत्र अथवा प्रतिज्ञा पत्र प्रस्तुत करने से इनकार नहीं कर सकता। यदि वह ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। पढ़िए:-
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 178 की परिभाषा
जब किसी प्राधिकार अधिकारी, मजिस्ट्रेट अथवा न्यायाधीश महोदय द्वारा किसी व्यक्ति को शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है और किसी कानूनी प्रक्रिया के तहत, शपथ पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है, तब इस प्रकार का शपथ पत्र लोक सेवक या न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं करने वाला व्यक्ति आईपीसी की धारा 178 के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा और न्यायालय द्वारा उसे दंडित किया जाएगा।
Indian Penal Code, 1860 section 178 punishment
यह अपराध असंज्ञेय एवं ज़मानतीय होते है। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है इस अपराध के लिए अधिकतम छ:माह कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
नोट:- न्यायालय में शपथ लेने से इंकार करने पर दंड का प्रावधान उसी न्यायालय द्वारा दिया जाएगा जहां पर अपराध विचारण पर है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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