हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को माखन कितना प्रिय है। वर्षभर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और मक्खन मिश्री का भोग लगाते हैं। विशेष अवसरों पर भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाए जाते हैं लेकिन जन्माष्टमी के दिन धनिया की पंजीरी का भोग लगाया जाता है। आइए जानते हैं कि क्या कारण है जो जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण को पंजीरी का भोग अर्पित किया जाता है।
आपकी हेल्थ के लिए श्री कृष्ण लीला
धनिया मूल रूप से एक आयुर्वेदिक औषधि है। भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह बारिश का मौसम होता है। इन दिनों भारतवर्ष में मौसम के कारण नागरिकों की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। धनिया की पंजीरी खाने से डाइजेस्टिव सिस्टम दुरुस्त हो जाता है। आप स्वस्थ रहें इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने जन्मोत्सव पर अपने प्रिय माखन के स्थान पर धनिया की पंजीरी का भोग स्वीकार किया। यही है असली श्री कृष्ण लीला, जबकि ज्यादातर लोग समझ ही नहीं पाते।
धनिया की पंजीरी सिर्फ श्री कृष्ण जन्माष्टमी उपवास पर ही क्यों
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर दिनभर उपवास रखा जाता है और मध्य रात्रि में जन्मोत्सव के दौरान व्रत का पारण किया जाता है। इस प्रकार के उपवास के लिए धनिया से अच्छा कोई NUTRIENTS पृथ्वी पर उपलब्ध ही नहीं है। बाकी सभी प्रकार के उत्सव दिन में मनाए जाते हैं। दिनभर उपवास रखकर रात्रि में पारण नहीं किया जाता और यदि किसी उपवास में किया जाता है तो फिर पारण के समय ग्रहण किए जाने वाला प्रसाद हमेशा धनिया की पंजीरी या इसके समकक्ष मौसम के अनुसार कुछ होता है।
धनिया पाउडर एवं धनिया की पंजीरी के फायदे
- धनिया पाउडर आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
- आंखों में होने वाली खुजली रेडनेस और इन्फ्लेमेशन से धनिया पाउडर या धनिया की पंजीरी राहत देती है।
- धनिया पाउडर में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं।
- कई सारी बीमारियों जैसे -अर्थराइटिस, डायबिटीज, एलर्जी, थायराइड, हेवी मेंस्ट्रूअल फ्लो में भी धनिया की पंजीरी लाभदायक होती है।
- स्किन केयर, हेयर केयर ,वेट लूज करने में, हमारे इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग बनाने में भी धनिया पाउडर काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कुल मिलाकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर धनिया की पंजीरी का भोग इसलिए लगाया जाता है ताकि उसे भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाए और प्रसाद होने के कारण सभी श्रद्धालु उसका सेवन करेंगे। इस प्रकार श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की देखभाल हो जाएगी।