माध्यमिक शिक्षक से उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर उच्च पद प्रभार, विसंगतियां एवम कोर्ट केस - karmchari news

Bhopal Samachar

Madhya Pradesh government school education employees news 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आर बी राय के प्रकरण में प्रमोशन पर, यथा स्थिति के बाद, मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रमोशन हेतु पात्र शिक्षकों अर्थात नवीन शैक्षणिक संवर्ग को उच्च पद का प्रभार देने हेतु, भर्ती नियम मध्य प्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) सेवा शर्तें एवम भर्ती नियम 2018 के नियम 5 के उपनियम 4 के खंड ख के बाद ग जोड़ा गया गया है। 

खंड ग के अनुसार यदि प्रमोशनल पदों को जल्दी भरे जाने की जरूरत है, तब विभाग सीनियरिटी कम फिटनेस के आधार पर शिक्षकों को उच्च पद का प्रभार दिया जा सकेगा। उक्तानुसार, वे उस पद से जुड़ी सभी शक्तियों का प्रयोग कर सकेंगे। भर्ती नियमों से प्राप्त शक्तियों के पालन में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा, माध्यमिक शिक्षक से उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर उच्च पद प्रभार हेतु जो वरिष्ठता सूची जारी हुई है उसमें निम्नलिखित विसंगतिया हैं :- 

1)सूची में वरिष्ठता दिनांक को लेकर सबसे अधिक विसंगतियां है। वर्ग 3 से वर्ग 2 में प्रमोट होने वाले शिक्षकों की वरिष्ठता दिनांक प्रमोशन दिनांक से न होकर प्रथम नियुक्ति दिनांक प्रदर्शित हो रही है जिससे वे सीधी भर्ती वालों से ऊपर आ गए हैं।

2)अंतर निकाय संविलियन एवं अंतर संभाग स्थानांतरण वाले माध्यमिक शिक्षकों की वरिष्ठता दिनांक प्रथम नियुक्ति दिनांक आ रही है जबकि अंतर निकाय संविलियन दिनांक एवं अंतर संभाग स्थानांतरण दिनांक आना था जिससे दूसरे शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं।

3)यदि कोई माध्यमिक शिक्षक तीन विषय में पीजी है तो तीनों विषयों में उसका नाम आना चाहिए था जो की एक ही विषय में प्रदर्शित हो रहा है।

4)एक ही डेट के वरिष्ठता वाले शिक्षकों की वरिष्ठता उम्र के अनुसार निर्धारित कर दी गई है, जबकि उनकी वरिष्ठता नियुक्ति आदेश दिनांक में दिए हुए क्रम के अनुसार होना थी।  उपरोक्त विसंगतियों के निराकरण नही होने पर कोर्ट केस उद्भूत हो रहे हैं। 

उच्च पद प्रभार प्राप्त करने का अधिकार, प्राप्त शिक्षकों को किसी कार्यकारी निर्देश के द्वारा नही प्राप्त हो रहा है, अपितु, संशोधित भर्ती नियम उपरोक्त विधिक अधिकार प्रदान करते हैं। भर्ती नियम विभाग के उपर बाध्यकारी हैं। उच्च पद प्रभार देते हुए, सेनियरिटी का अतिक्रमण, वस्तुतः भर्ती नियमों का अतिक्रमण है। उक्त भर्ती नियम का अतिक्रमण, कोर्ट केस में परिवर्तित हो सकता है।

लेखक श्री अमित चतुर्वेदी, कर्मचारी मामलों के अधिवक्ता है एवं जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश में प्रैक्टिस करते हैं।

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