Madhya Pradesh legal general knowledge and law study notes
मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर ऐसा हो जाता है। पैतृक संपत्ति जिसके 1 से अधिक उत्तराधिकारी होते हैं, उसे शक्तिशाली उत्तराधिकारी बेच देता है और राजस्व विभाग के कर्मचारियों के साथ मिलकर उसका नामांतरण भी हो जाता है। मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के अनुसार सरकारी खाते में जमीन जिसके नाम दर्ज होती है, उसे ही भूमि का वैदिक स्वामी माना जाता है। ऐसी स्थिति में कमजोर उत्तराधिकारी को अक्सर हताश कर दिया जाता है, परंतु हम बताते हैं कि भू राजस्व संहिता की एक उप धारा, ऐसे उत्तराधिकारियों के हितों की रक्षा करती है।
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता,1959 की धारा 165 की उपधारा 05 की परिभाषा
जहाँ भूमि स्वामी की भूमि किसी न्यायालय की किसी डिक्री, आदेश के निष्पादन में, किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं बेची जाएगी जो ऐसे विक्रय के फलस्वरूप उतनी भूमि का हकदार हो जाएगा जो स्वयं उसके द्वारा, उसके परिवार द्वारा धारित भूमि यदि कोई हो तो।
सरल हिंदी में रहे तो, पैतृक संपत्ति जो मृत स्वामी के विधिक प्रतिनिधि अर्थात पुत्र, पुत्री, पत्नी को मिलने वाली हो, उसे यदि कोई मामा या चाचा बेच देता है तो ऐसा नामांतरण मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 165 की उपधारा 05 के अनुसार अवैध या शून्य घोषित कर दिया जाएगा। पीड़ित को मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता की धारा 165 की उप धारा 5 के अंतर्गत अपना प्रकरण प्रस्तुत करना चाहिए। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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