मध्य प्रदेश शासन के कई विभागों में वरिष्ठ अधिकारी अपने पसंदीदा कर्मचारी की मनोकामना पूर्ति के लिए मनचाही ट्रांसफर पोस्टिंग करते रहते हैं परंतु स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत लोक शिक्षण संचालनालय में ट्रांसफर के नाम पर शिक्षकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। एक दिव्यांग महिला शिक्षक का रिटायरमेंट से पहले ट्रांसफर कर दिया गया जबकि उसने इसके लिए आवेदन ही नहीं किया था। प्रताड़ना का आरोप इसलिए क्योंकि अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के बाद भी, स्थानांतरण स्थगित नहीं किया गया। मजबूरी में महिला शिक्षक को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी।
दिव्यांग कर्मचारियों को ट्रांसफर से छूट प्राप्त है
जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ मध्य प्रदेश के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने बताया कि, सहायक शिक्षक रोशन आरा का ट्रांसफर दिनांक 10/08/23 को प्राथमिक विद्यालय, गैरतपुर से प्राथमिक विद्यालय, डुंगरिया जिला रायसेन कर दिया गया था। चूंकि, रोशन आरा 45 प्रतिशत विकलांगता से पीड़ित हैं, अतः नियमानुसार उन्हे ट्रांसफर से छूट प्राप्त है। विभाग द्वारा अभ्यावेदन के निराकरण नही होने पर, उनके द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष याचिका दायर कर, ट्रांसफर ऑर्डर निरस्त करने की मांग की थी।
अभ्यावेदन के निराकरण हेतु हाईकोर्ट का आदेश
उनकी ओर से अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी उच्च न्यायालय जबलपुर ने कोर्ट को बताया कि याचिका कर्ता 45 प्रतिशत दिव्यांग हैं एवम मात्र 23 माह रिटायरमेंट हेतु शेष हैं। सुनवाई के बाद, कोर्ट के विभाग को आदेशित किया है कि विभाग महिला शिक्षक रोशन आरा के ट्रांसफर प्रकरण का निराकरण शीघ्र करे। निराकरण की अवधि में ट्रांसफर दिनांक 10/08/23 स्टे रहेगा। सहायक शिक्षक, गैरतपुर में कार्य करते रहेंगी। उक्तानुसार, ट्रांसफर केस का निराकरण किया गया है।
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