टीकमगढ़ की साध्वी उमा भारती, किसी जमाने में विश्व हिंदू परिषद की फायरब्रांड नेता हुआ करती थी। एक वक्त ऐसा भी आया जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की मजबूत जड़ों वाली दिग्विजय सिंह सरकार को उखाड़ फेंका, लेकिन उसके बाद अहंकार का शिकार हो गई और आज राजनीति में अपना अस्तित्व बचाने के लिए उस सिंधिया परिवार की शरण में है, जिसे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहते हुए दुत्कार दिया था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के अटेंशन का कोई मौका नहीं छोड़ती उमा भारती
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती इन दिनों केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का अटेंशन प्राप्त करने का कोई मौका नहीं छोड़ती। कई बार एक समर्थक की भूमिका में नजर आती हैं। 24 घंटे पहले 16 सितंबर को उन्होंने श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में बयान दिया था। कांग्रेस पार्टी के मध्य प्रदेश प्रभारी श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला को टारगेट पर लिया था। बयान में लिखा था कि, कांग्रेस के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला जी ने कल चंबल में सिंधिया जी पर जूते बजने की बात कही है वह निंदनीय है, शर्मनाक है, आपत्तिजनक है और कांग्रेस के लिए तो अब यह विनाशकारी साबित होगी। राजमाता सिंधिया जी से लेकर ज्योतिरादित्य जी तक भाजपा के यह सम्माननीय नेता हैं उनके बारे में आपत्तिजनक भाषा कांग्रेस की बदहाली को दर्शाती है, मैं इस वक्तव्य की घोर निंदा करती हूं।
सिंधिया ने 24 घंटे बाद ध्यान दिया
कहने की जरूरत नहीं है कि सब कुछ श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का ध्यान खींचने के लिए किया गया था, क्योंकि यदि उमा भारती, राजमाता सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक सिंधिया परिवार के सभी सदस्यों को भाजपा के लिए सम्मानित मानती तो जब मुख्यमंत्री थी तब जो कुछ किया वह बिल्कुल नहीं करती। हालात यह बना दिए थे कि यशोधरा राजे सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी छोड़ने का मन बना लिया था। अज्ञातवास पर चली गई थी। शायद ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी सब कुछ पता है इसलिए, उन्होंने भी उमा भारती के बयान को इग्नोर किया। 24 घंटे बाद उस पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
उमा भारती को सिंधिया के संरक्षण की क्या जरूरत
पिछले कुछ सालों में उमा भारती के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं। शराब के मामले में सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की तो ऐसा तमाशा बना कि, सवालों से बचने के लिए पत्रकारों से दूरी तक बना ली थी। जब भी क्या मेरे से सामना होता एक नई तारीख देनी पड़ती। तारीख पर तारीख का सिलसिला शुरू हो गया था। पहले सरकार को अपनी संतान बताती थी। अब पार्टी में अपना हिस्सा मांगती हैं।
टिकट वाली चिट्ठी वायरल हुई। बयान दिया कि मेरी चिट्ठी नहीं है लेकिन FIR नहीं कराई क्योंकि साइबर पुलिस जांच करती तो पता चल जाता की चिट्ठी किसकी है। सरकार में एक मंत्री का नाम चुनने का मौका मिला था। आदर्श स्थापित कर सकती थी परंतु हर दृष्टि से अपात्र अपने भतीजे का नाम आगे बढ़ा दिया। भाजपा के बच्चे बच्चे को पता चल गया कि उमा भारती, भाई भतीजावादी हैं।
लोधी समाज भी उमा भारती के साथ नहीं है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह लोधी सहित कई दूसरे नेता मध्य प्रदेश में लोधी समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लोधी समाज के ज्यादातर लोग उमा भारती से ना तो मदद मांगने आते हैं और ना ही उमा भारती के कहने पर किसी पंडाल में खड़ा होना पसंद करते हैं।
कुल मिलाकर उमा भारती राजनीति से रिटायर हो चुकी हैं और संविदा नियुक्ति पर रहना चाहती हैं। शिवराज सिंह चौहान ने उनका पेंशन प्लान शुरू कर दिया है, इसलिए सिंधिया का संरक्षण प्राप्त करने की कोशिश कर रही है। शायद उनकी मदद से सक्रिय राजनीति में कोई संविदा नियुक्ति मिल जाए।
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