मध्य प्रदेश में एलएलबी स्टूडेंट को सिविल जज की परीक्षा के लिए बदले गए नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका डिस्पोज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, मामले को पहले हाई कोर्ट में प्रस्तुत करें। यदि निराकरण नहीं होता तो सुप्रीम कोर्ट आएं। याचिका ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा लगाई गई थी।
मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियम 1994 में हाई कोर्ट द्वारा राज्य शासन से कराए गए संशोधन, जो दिनांक 23 में 2023 को राजपत्र में प्रकाशित हुए हैं। उक्त नियमों की संवैधानिकता को ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधि रिटायर्ड ADJ श्री राजेंद्र कुमार श्रीवास द्वारा अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से, भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दाखिल की गई थी। दिनांक 25 सितंबर को इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस श्री हरिकेश राय एवं जस्टिस श्री संजय करोल की खंडपीठ द्वारा की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संगठन को हाई कोर्ट के समक्ष संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अप्रोच करना चाहिए। यदि हाई कोर्ट याचिका में उठाए गए मुद्दों का निराकरण नहीं करता है, तब सुप्रीम कोर्ट आना चाहिए। इस निर्देश के साथ याचिका को डिस्पोज कर दिया गया। संगठन को स्वतंत्रता दी गई है कि वह मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दाखिल करें।
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