मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पीएनबी मेटलाइफ इंडियन इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने एक शिक्षक की मृत्यु हो जाने के बाद उसके आश्रितों को 21 लाख रुपए क्लेम देने से इनकार कर दिया। पीड़ित परिवार को जिला उपभोक्ता विभाग प्रतितोषण आयोग में 2 साल तक केस लड़ना पड़ा। फैसला पीड़ित परिवार के पक्ष में हुआ है परंतु समाचार लेकर जाने तक कंपनी की तरफ से क्लेम देने की घोषणा नहीं की गई थी।
मामला क्या है- घटना का विवरण
सन 2018 में शासकीय शिक्षक श्री भूषणचंद जैन ने अपने भवन के लिए पंजाब नेशनल बैंक से लोन लिया था। पंजाब नेशनल बैंक ने उनके सामने शर्त रखी थी कि उनका लोन तभी मंजूर किया जाएगा जब वह पीएनबी मेटलाइफ इंडियन इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से अपना लाइफ इंश्योरेंस करवाएंगे। इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी द्वारा शासकीय शिक्षक से 1,34,374 रुपए बतौर प्रीमियम जमा कराए गए थे। सन 2021 में हार्ट अटैक के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उनके आश्रित एवं वैधानिक उत्तराधिकारी एवं उनके सुपुत्र श्री आकाश जैन ने बीमा क्लेम किया परंतु इंश्योरेंस कंपनी ने 10 साल पहले एक डॉक्टर के पर्चे के आधार पर यह कहते हुए क्लेम रिजेक्ट कर दिया कि मृतक पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर का मरीज था और उसका लिवर भी खराब था।
पीड़ित परिवार को नियम अनुसार जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ केस लड़ना पड़ा। यहां भी कंपनी क्लेम देने को तैयार नहीं हुई। 2 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पीड़ित परिवार कैसे जीत गया है परंतु अभी भी इंश्योरेंस कंपनी की ओर से क्लेम देने की घोषणा नहीं की गई है। कंपनी फैसले के खिलाफ अपील भी कर सकती है।
निष्कर्ष
इस मामले में एक निष्कर्ष यह निकलकर सामने आया है कि पीएनबी मेटलाइफ इंश्योरेंस कंपनी बीमा करने से पहले किसी प्रकार की छानबीन नहीं करती परंतु यदि बीमा धारा की मृत्यु हो जाए तो क्लेम देने से बचने के लिए तमाम प्रकार के सबूत और गवाह जमा करने के लिए कड़ी मेहनत करती है। जबकि बीमा कंपनी को पॉलिसी जारी करने से पहले सभी प्रकार की छानबीन करनी चाहिए।
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