श्री गणेश चतुर्थी पर गलती से चांद दिख गया तो क्या करें - What to do if the moon seen by mistake

Bhopal Samachar

What to do if accidentally see the moon on Shri Ganesh Chaturthi

उत्तर भारत में, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चांद को देखना वर्जित है। मान्यता है कि इस दिन चांद को देखने से मिथ्या कलंक लगता है।
'भाद्रशुक्लचतुथ्र्यायो ज्ञानतोऽज्ञानतोऽपिवा। 
अभिशापीभवेच्चन्द्रदर्शनाद्भृशदु:खभाग्॥'
अर्थात जो भी व्यक्ति भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चांद का दर्शन करेगा, उसे बहुत अधिक दुखों का सामना करना पड़ेगा। सभी नागरिक यथासंभव इस का ध्यान रखते हैं परंतु कई बार अनजाने में आसमान की ओर नजर चली जाती है और फिर चंद्र दर्शन हो जाते हैं। यदि आपको भी श्री गणेश चतुर्थी की रात्रि गलती से चांद दिख गया है तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। निम्न में से कोई एक उपाय कर सकते हैं।

अनजाने में गणेश चतुर्थी पर चांद देख लिया, उपाय बताइए

  • भागवत की स्यमंतक मणि की कथा सुनने या इसका पाठ करने से अशुभ फल दूर होता है।
  • अपने पड़ोसी की छत पर एक पत्थर फेंक दें।
  • शाम के समय अपने अतिप्रिय निकट संबंधी से कटुवचन बोलें और अगले दिन सुबह उससे माफी मांग लें।
  • आईने में अपनी शक्ल देखकर, आईने को पानी में बहा दें।
  • 21 अलग-अलग पेड़ों के पत्ते तोड़कर अपने पास रखें।
  • मौली में 21 दूर्वा बांधकर मुकुट बनाएं और इस मुकुट को गणपति मंदिर में गणेश जी के सिर पर सजाएं।
  • रात के समय मुंह नीचे और आंखें बंद करके आकाश में स्थित चंद्रमा को आईना दिखाएं, इसके बाद इस आईने को चौराहे पर जाकर फेंक दें।
  • गणेश जी की प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति पर 21 लड्डूओं का भोग लगाएं, इनमें से पांच लड्डू अपने पास रखकर शेष ब्राह्मणों में बांट दें।
  • शाम के समय सूर्यास्त से पहले किसी पात्र में दही में शक्कर फेंट लें, इस घोल को किसी दोने में रखकर इस घोल में अपनी शक्ल देंखे और अपनी समस्या मन ही मन कहकर इस घोल को किसी कुत्ते को खिला दें।

श्री गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन उत्तर भारत में अशुभ तो महाराष्ट्र में शुभ

गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस कारण इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महाराष्ट्र में लोग चांद को अर्घ्य देकर पूजा शुरू करते हैं। वहीं, उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी के दिन चांद को देखना अशुभ माना जाता है। दोनों परंपराओं के पीछे अपनी-अपनी कथाएं हैं, और दोनों परंपराओं की अपनी मान्यता है, जो भौगोलिक देश काल और परिस्थिति के आधार पर प्रचलित है। 

डिस्क्लेमर- यह जानकारी भारत की धार्मिक पुस्तकों के आधार पर प्रकाशित की गई है। इसके प्रयोग एवं परिणामों के लिए व्यक्तिगत दावा नहीं किया गया है। कृपया अपने फैमिली एस्ट्रोलॉजर से संपर्क करें। 

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