वैसे तो कई एजेंसी दावे करती है कि विधानसभा चुनाव में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं, लेकिन भारत निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन शुल्क मात्र ₹10000 निर्धारित किया है। यह शुल्क जमा करने के बाद कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है और यदि आप अनुसूचित जाति अथवा जनजाति से हैं तो नामांकन शुल्क में 50% की छूट मिलती है।
सोशल मीडिया का जमाना है, कोई भी वायरल हो सकता है
कुछ सालों पहले तक चुनाव सचमुच महंगा काम हुआ करता था। आम सभाओं का आयोजन और चुनाव प्रचार काफी खर्चीला हुआ करता था। आज भी यह खर्चे बहुत ज्यादा है लेकिन अब सोशल मीडिया का जमाना है। आप अपने मुद्दे और अपनी बातें आम जनता तक पहुंचा सकते हैं। यदि आपके मुद्दों में दम है तो उन्हें वायरल होने से कोई नहीं रोक सकता। फेसबुक और यूट्यूब पर आपका एक वीडियो लाखों रुपए खर्च करके आयोजित की गई किसी भी आम सभा से ज्यादा प्रभावशाली साबित हो सकता है। यदि आपके पास सचमुच अपने क्षेत्र के विकास के लिए कोई प्लान है। यदि आप सचमुच जनता की सेवा करना चाहते हैं और आपके पास ₹10000 एवं अगले 1 महीने का समय है तो ट्राई करके देखिए, अच्छा लगेगा।
चुनाव आयोग ने ओबीसी और ईडब्ल्यूएस को छूट नहीं दी
भारत में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अलावा पिछड़ा वर्ग एवं अनारक्षित जातियों के निर्धन नागरिकों को आरक्षण का लाभ दिया गया है। शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में यह लाभ मिलता है। इलाज में भी यह लाभ मिलता है परंतु चुनाव आयोग ने नामांकन शुल्क के मामले में पिछड़ा वर्ग और EWS उम्मीदवारों को 50% की छूट का लाभ नहीं दिया है।
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