मध्य प्रदेश में अब तक विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश सरकार और कांग्रेस के बीच चल रहा था। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस बार निष्क्रिय था, लेकिन विजयदशमी के बाद हालात बदलने वाले हैं, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी रणनीति बदल दी है।
कुनबे में कलह लक्ष्य के लिए हानिकारक
मध्य प्रदेश में 6 महीने पहले तक शिवराज सिंह चौहान सरकार और कांग्रेस पार्टी के बीच मुकाबला चल रहा था। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से ना तो भाजपा ने मदद मांगी थी और ना ही संघ सक्रिय हुआ था। प्रत्याशी चयन के महत्वपूर्ण मामले में भी इस बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जिक्र ना के बराबर रहा। इधर भारतीय जनता पार्टी में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की संख्या बढ़ गई, जबकि भाजपा का जमीन कार्यकर्ता निष्क्रिय हो गया। सबके पास अपने-अपने कारण है और सभी कारण उचित भी है। इसके चलते स्थिति तनाव पूर्ण हो गई।
अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को एहसास हुआ है कि मध्य प्रदेश के कुनबे में कलह, संघ के राष्ट्रीय लक्ष्य के लिए हानिकारक है। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सक्रिय हो जाने का फैसला लिया है। इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेताओं की दो बार बैठक हो चुकी है। फैसला हो गया है और कार्यक्रम भी बना लिया गया है। मध्य प्रदेश में विजयदशमी से माहौल बदला हुआ दिखाई देगा।
चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या करेगा
- बागी उम्मीदवारों को असफल करेंगे।
- विद्यार्थी वर्ग की 90% वोटिंग सुनिश्चित करेंगे।
- मध्य प्रदेश की जनता का ध्यान राष्ट्रीय चुनौतियों की तरफ खींचेंगे।
- विचारधारा को स्थापित बनाए रखेंगे।
- विजयदशमी के अवसर पर पूरे मध्य प्रदेश में गांव-गांव में भव्य पथ संचलन निकाला जाएगा।
- इस बार बाल स्वयंसेवकों का पथ संचलन भी होगा।
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