मध्य प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन एक प्रभावशाली माध्यम है। इसमें थर्ड पार्टी द्वारा शिकायत का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता है। मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर तक समीक्षा की जाती है, लेकिन सीएम हेल्पलाइन पर केवल शासन से निजी स्तर पर होने वाली समस्याओं की शिकायत की जा सकती है। सामान्य जनहित की शिकायतों को फोर्स क्लोज कर दिया जाता है और यदि बार-बार शिकायत करेंगे तो नंबर ब्लॉक कर दिया जाता है।
सीएम हेल्पलाइन में नंबर ब्लॉक की अपील भी नहीं
इस संदर्भ में कोई नियमावली नहीं है परंतु अब सीएम हेल्पलाइन शासकीय अधिकारियों के हित में काम करने लगी है। यदि कोई अधिकारी एक रिपोर्ट बनाकर भेज दे कि 123 नंबर का व्यक्ति अत्यधिक शिकायत करता है और ऐसी शिकायतें भी कर देता है जिससे उसे निजी तौर पर कोई परेशानी नहीं है। तो ऐसे व्यक्ति को आदतन शिकायतकर्ता मानकर ब्लॉक कर दिया जाता है। फिर वह सीएम हेल्पलाइन पर कभी किसी प्रकार की शिकायत नहीं कर सकता। मजेदार बात यह है कि, इस मामले में वह कहीं कोई अपील भी नहीं कर सकता।
नगर निगम, नगर पालिकाओं की शिकायत पर सीएम हेल्पलाइन भी ध्यान नहीं देती
साफ-सफाई, अतिक्रमण, स्ट्रीट लाइट, वाटर सप्लाई और नाली निर्माण इत्यादि शिकायतों पर सीएम हेल्पलाइन में ध्यान नहीं दिया जाता। जिले के अधिकारियों द्वारा इस प्रकार की शिकायतों को फोर्स क्लोज कर दिया जाता है। मंत्रालय में बैठे मुखिया इसे सामान्य प्रक्रिया मानते हैं। भोपाल में सतीश नायक नाम के एक पूर्व पार्षद ने 1 साल में गंदगी और साफ सफाई से संबंध 149 शिकायत दर्ज कराई। उनकी शिकायतों को न केवल फोर्स क्लोज कर दिया गया बल्कि उनका नंबर भी ब्लॉक कर दिया गया। क्योंकि यह कोई लीगल एक्शन नहीं है इसलिए इस पर कोई अपील और सनी का प्रावधान भी नहीं है।
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