शायद यह स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा सामूहिक बलात्कार कांड है। 126 फॉरेस्ट ऑफीसर, 84 पुलिस ऑफिसर एवं राजस्व विभाग के पांच अधिकारियों ने मिलकर एक गांव में जो तांडव किया था। शासकीय पद के दुरुपयोग का इससे बड़ा मामला आज तक सामने नहीं आया है। पूरे गांव को बंधक बना लिया था। 18 महिलाओं के साथ गैंगरेप किया गया। सब कुछ तीन दिन तक चलता रहा।
भारत में पद के आपराधिक दुरुपयोग का सबसे बड़ा मामला
यह मामला तमिलनाडु राज्य के धर्मपुरी जिले के वाचाथी गांव का है। दिनांक 20 जून सन 1992 को फॉरेस्ट डिपार्मेंट, पुलिस डिपार्टमेंट और राजस्व विभाग के कुल 269 अधिकारी कर्मचारियों ने गांव में छापामार कार्रवाई की थी। इस टीम का नेतृत्व भारतीय वन सेवा के चार अधिकारी कर रहे थे। वन विभाग ने दावा किया था कि इस गांव के लोग चंदन की तस्करी करते हैं, और गांव में भारी मात्रा में चंदन की लकड़ी मौजूद है। पूरे तीन दिन तक गांव में तलाशी अभियान चलाया गया इस दौरान पुरुषों के साथ बेरहमी से मारपीट की गई और गांव की 18 महिलाओं के साथ तीन दिन तक लगातार बलात्कार किया जाता रहा।
सीबीआई जांच में 4 IFS सहित 269 अधिकारी कर्मचारी दोषी पाए गए थे
इस घटना के बाद मामला न्यायालय में पहुंचा और धर्मपुरी जिले की अदालत ने भारतीय वन सेवा के चारों अधिकारियों सहित कल 269 कर्मचारी एवं अधिकारियों को बलात्कार का दोषी घोषित करते हुए सजा सुनाई थी। इनमें से 54 अधिकारी कर्मचारियों की न्यायालय में प्रकरण की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी। इसलिए वन विभाग के 126 अधिकारी कर्मचारी, पुलिस विभाग के 84 अधिकारी कर्मचारी एवं राजस्व विभाग के पांच अधिकारी कर्मचारियों को, कल 215 अधिकारी कर्मचारियों को दंडित किया गया था। इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की गई थी।
हाई कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा है
जिला अदालत से सजा मिलने के बाद अपराधी घोषित किए गए अधिकारी एवं कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। मद्रास हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सजा को बरकरार रखा है। दोषी पक्ष की अपील को खारिज कर दिया गया है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा की कार्रवाई के दौरान सरकारी टीम अपने तलाशी के उद्देश्य से भटक गई थी। इन सभी को 10-10 साल जेल और 10-10 लाख रुपए जुर्माना की सजा सुनाई गई है।
कलेक्टर, एसपी और डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि धर्मपुरी जिले के तत्कालीन कलेक्टर, एसपी और डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई की जाए क्योंकि उपरोक्त तीनों अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया बल्कि दोषी अधिकारी कर्मचारियों की टीम के खिलाफ कार्रवाई न करके हम नागरिकों में शासन के प्रति विश्वास का भाव पैदा होने दिया।
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