POCSO Act के तहत 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ फिजिकल रिलेशन बनाना हर हाल में अपराध बताया गया है। अर्थात लड़की की सहमति का यहां कोई मूल्य नहीं है परंतु कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक मामले में आरोपी को दोष मुक्त कर दिया। इसके साथ 18 साल से कम आयु की लड़कियों को संदेश भी दिया कि वह अपनी इच्छाओं पर काबू रखें।
नाबालिग बच्चों की लव मैरिज मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला
मामला लव मैरिज का है। लड़का और लड़की दोनों की उम्र 18 साल से कम थी। दोनों के बीच प्यार हुआ दोनों ने आपसी सहमति से लव मैरिज कर ली और दोनों ने एक दूसरे को पति-पत्नी मानकर फिजिकल रिलेशन भी बना लिए। मामला जिला न्यायालय में पहुंचा। ट्रायल के दौरान यह कंफर्म हुआ कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने हैं। इस आधार पर जिला न्यायालय ने आरोपी लड़के को सजा सुना दी।
लड़का और लड़की बराबर की जिम्मेदार
सजायाफ्ता नाबालिग पति ने जिला न्यायालय के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। जस्टिस चित्तरंजन दास और पार्थसारथी सेन की पीठ ने मामला सुना। हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई करने के बाद लड़के को दोष मुक्त घोषित कर दिया। उच्च न्यायालय का कहना था कि, लड़का और लड़की दोनों की उम्र 18 साल से कम थी। दोनों के बीच सहमति के साथ शारीरिक संबंध बने इसलिए यह मामला शोषण का नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा के मामले में लड़का और लड़की बराबर की जिम्मेदार हैं और दोनों ने कोई अपराध नहीं किया बल्कि कानून की जानकारी नहीं होने के कारण गलती की है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि, 18 साल से कम आयु की लड़कियों को अपनी इच्छाओं पर काबू रखना चाहिए। माता-पिता एवं कपिल शिक्षकों से अपील की है कि वह 12 साल से अधिक एवं 18 साल से कम आयु के लड़के लड़कियों को मेडिकल और लीगल दोनों प्रकार की जानकारियां दें। यदि बच्चों को सही जानकारी दी जाएगी तो वह गलती नहीं करेंगे।
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