भारत में वचन का अपना महत्व होता है। जहां एक तरफ लोग वचन के लिए प्राणों का त्याग करने के लिए भी तत्पर रहते हैं वहीं दूसरी ओर यदि कोई वचन देता है तो उस पर विश्वास किया जाता है। संविधान द्वारा शासित होने के बावजूद भारत में शपथ पत्र का अपना महत्व और न्यायालय में स्वीकार किया जाता है की शपथ पत्र पर यदि कोई गवाही या साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है तो, वह सही होगा। लेकिन यदि वह मिथ्या, झूठा अथवा असत्य पाया जाता है तब, ऐसा करने वाले विश्वासघाती व्यक्ति को कठोर दंड का प्रावधान किया गया है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 191 की परिभाषा
कोई कोई व्यक्ति किसी स्टाम्प पर, किसी विधि के अनुसार दस्तावेज पर या किसी लोक सेवक के समक्ष चाहें वह मौखिक भी हो, शपथ पत्र के माध्यम से झूठा साक्ष्य देगा। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 191 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और न्यायालय द्वारा उसे दंडित किया जाएगा।
Indian Penal Code, 1860 section 191 punishmen
यह अपराध असंज्ञेय एवं ज़मानतीय होते है। इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति न्यायिक कार्यवाही में झूठा साक्ष्य देता है तब उसे अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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