Legal general knowledge and law study notes
बहुत सारे अपराधी स्वयं को दंड से बचने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार कर लेते हैं। किसी वीडियो या ऑडियो को एडिट करके प्रस्तुत करते हैं अथवा अन्य किसी भी प्रकार के साक्ष्य में छेड़छाड़ कर देते हैं। ऐसे लोग जब पकड़े जाते हैं तो, जो अपराध किया है उसका दंड तो मिलता ही है, एक अन्य मामला भी दर्द होता है और उसके लिए भी दंड मिलता है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 192 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी अपराध के दण्ड से बचने के लिए झूठे साक्ष्य तैयार करेगा या झूठे साक्ष्य बनाकर किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसायेगा या कोई झूठे सबूतों को गढ़गा या दस्तावेज झूठे बनाकर पेश करेगा, कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में हेर-फेर करके पेश करेगा वह व्यक्ति आईपीसी की धारा 192 के अंतर्गत दोषी होगा।
Indian Penal Code, 1860 section 191 punishment
यह अपराध असंज्ञेय एवं ज़मानतीय होते है। इनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है,लेकिन अगर कोई व्यक्ति न्यायिक कार्यवाही में झूठा साक्ष्य तैयार करके देता है तब उसे अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com