Legal general knowledge and law study notes
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 198 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी मिथ्या प्रमाण-पत्र का जानबूझकर कर भ्रष्टाचार के उद्देश्य से सच्चा बनाकर प्रयोग में लाएगा वह व्यक्ति आईपीसी की धारा 198 के तहत अपराधी घोषित किया जाएगा और न्यायालय द्वारा दंडित किया जाएगा। उदाहरण:-
- मिथ्या जाति प्रमाण पत्र बनाकर आरक्षण का लाभ ले लेना।
- मिथ्या चरित्र प्रमाण पत्र बनाकर सरकारी सुविधा का लाभ ले लेना।
- मिथ्या मेडिकल सर्टिफिकेट बनकर शान द्वारा निर्धारित लाभ प्राप्त कर लेना।
- मिथ्या मार्कशीट बनाकर अपनी आयु को कम या ज्यादा प्रमाणित करके लाभ प्राप्त कर लेना।
- मिथ्या किरायानामा बनाकर आयकर अधिनियम के तहत छूट का लाभ ले लेना।
भारतीय दण्ड संहिता , 1860 की धारा 198 दण्ड का प्रावधान
इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय हैं। इस अपराध की सुनवाई उसी न्यायालय में होगी जिस न्यायालय में व्यक्ति द्वारा झूठे प्रमाण-पत्र के आरोप का विचारण चल रहा हैं अर्थात विचारणीय न्यायालय। इस अपराध के लिए वहीं सजा होगी जिस अपराध के लिए झूठे प्रमाण-पत्र का उपयोग किया गया है अर्थात किसी व्यक्ति ने नकली निवास प्रमाण पत्र बनाकर लाभ लिया है तो उसे इसी अपराध का दण्ड दिया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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