पुलिस द्वारा प्रतिवेदन को बदलना किस धारा के अंतर्गत दण्डनीय अपराध होता है - IPC 204

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जब कोई मामला किसी लोक सेवक या न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होता है तब उसमे साक्ष्यों का बहुत महत्व होता है। बिना सबूतों के किसी भी व्यक्ति को इंसाफ नहीं मिलता है। पुलिस जब कोई प्रतिवेदन तैयार करती हैं तो उसमे भी अपराध के तथ्यों को बताया जाता है। ऐसे में कोई व्यक्ति न्यायालय के समक्ष पेश होने वाले दस्तावेजों को नष्ट करता है या फ़ेर बदल करता है तब उसके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी जानिए।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 204 की परिभाषा 

जो कोई व्यक्ति न्यायालय या किसी लोक सेवक समक्ष कोई दस्तावेज (इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख भी) पेश होने वाले साक्ष्य को नष्ट करता है या उनको छिपाता है या मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत करता है वह व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 204 के अंतर्गत दोषी होगा।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 204 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान 

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है सजा:- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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