IPC 208 - जानबूझकर केस हारने की कोशिश करना, अपराध एवं सजा का प्रावधान पढ़िए

Bhopal Samachar

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भारतीय दंड संहिता में विभिन्न प्रकार के अपराधों को विभिन्न धाराओं के तहत श्रेणीबद्ध किया गया है। कुछ अपराध ऐसे हैं जिसमें न्यायालय दोनों पक्षों को समझौता करने का अवसर देता है परंतु कुछ मामले ऐसे होते हैं जिसमें कानूनी तौर पर राजीनामा नहीं किया जा सकता। कई बार ऐसे मामलों में दोनों पक्षों के बीच न्यायालय के बाहर समझौता हो जाता है और फिर न्यायालय के भीतर फरियादी पक्ष जानबूझकर केस हार जाता है। इस प्रकार अपराधी, दोष मुक्त घोषित हो जाता है। 

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 208 की परिभाषा 

जो कोई व्यक्ति किसी धन के लिए, संपत्ति के लिए, या किसी अन्य के लिए कपटपूर्ण तरीके से न्यायालय की कार्यवाही में चुप-चाप खडा रहता है एवं स्वयं को केस हाराने की कोशिश करेगा तब वह व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 208 के अंतर्गत अपराधी घोषित किया जाएगा और न्यायालय द्वारा दंडित किया जाएगा।

Indian Penal Code, 1860 section 208 Punishment

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है सजा:- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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