मध्य प्रदेश के इंदौर जिला एवं सत्र न्यायालय ने एक झोलाछाप डॉक्टर को 3 साल जेल की सजा सुनाई है। उसके पास MBBS की डिग्री नहीं थी लेकिन वह खुद को MBBS डॉक्टर बताता था। इंडियन मेडिकल काउंसिल में उसका रजिस्ट्रेशन नहीं था लेकिन वह खुले आम प्रैक्टिस कर रहा था। लोगों को दवाई दे रहा था।
2019 में छापामार करवाई हुई थी
आरोपित का नाम खलील पुत्र सैफीरूददीन निवासी बाग मोहल्ला गौतमपुरा है। 30 अगस्त 2019 को चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की शिकायत पर पुलिस आरोपित के क्लीनिक पर पहुंची। जांच के दौरान पाया कि खलील एहमद दुकान के बोर्ड पर और मरीजों को दिए जाने वाले उपचार की पर्ची, पेड पर एमबीबीएस डीआर्थो (पटना) तथा एमएस (पटना) की डिग्री होने का उल्लेख फर्जी तरीके से करते हुए आम जनता के साथ धोखाधड़ी कर रहा था, जबकि उसके पास इनमें से कोई डिग्री थी ही नहीं।
उपचार के दौरान एक मरीज की मौत भी हो गई
उसका मेडिकल कौंसिल में रजिस्ट्रेशन भी नहीं था। आरोपित के खिलाफ धारा 420 और धारा 24 मप्र राज्य आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। उपचार के दौरान एक मरीज तुलसीराम की मृत्यु भी हुई थी। पुलिस ने भादसं की धारा 304 भी बढ़ा दी। सत्र न्यायालय ने प्रकरण में निर्णय पारित करते हुए आरोपित खलील को तीन वर्ष कठोर कारावास और 500 रुपये अर्थदंड से दंडित किया।
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