Right to Information Act, case decision bhai Rahul Singh bhopal
मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग द्वारा रीवा जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय में पदस्थ एक क्लर्क के खिलाफ 15000 रुपए का जुर्माना अधिरोपित किया गया है। बाबू को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी छुपाने का दोषी पाया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं दंड से बचने के लिए दोषी लिपिक ने अपने ही अधिकारी के खिलाफ फर्जी नोट शीट बना दी थी। सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने प्रकरण के परीक्षण के दौरान मामले को पकड़ लिया। दोषी कर्मचारियों का नाम सोनू दहायत है।
REWA MP NEWS - आरटीआई के तहत ऐसी क्या जानकारी मांगी थी जिसे छुपाया गया
रीवा जिले के एडवोकेट वृंदावन शुक्ला ने सीएमएचओ कार्यालय रीवा से जिले में संचालित सभी नर्सिंग होम की सूची मांगी थी और साथ ही नर्सिंग होम के संचालन की अनुमति के शर्तों की जानकारी भी चाही थी। RTI मार्च 2022 मे दायर हुई थी और सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुरुप 30 दिन में जानकारी दे दी जानी चाहिए थी, परंतु ऐसा नहीं हुआ। RTI आवेदन में जानकारी नहीं मिलने पर वृंदावन शुक्ला ने क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य रीवा के पास प्रथम अपील दायर की। क्षेत्रीय संचालक ने भी 5 दिन में मांगी गई जानकारी देने के आदेश जारी किए परंतु उन्हें जानकारी नहीं दी गई। इसलिए श्री शुक्ल ने राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की।
RTI ACT NEWS- REWA CMHO ने लापरवाही के लिए बाबू को जिम्मेदार ठहराया
जिले में आरटीआई आवेदन में जानकारी देने की जवाबदेही डॉक्टर एनएन मिश्रा सीएमएचओ रीवा की होने से राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सीएमएचओ डॉक्टर एन एन मिश्रा के विरुद्ध जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं करने के लिए ₹25000 जुर्माने का कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया। आयोग में तलब करने पर डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि जानकारी देने में उनकी ओर से लापरवाही नहीं की गई बल्कि उन्होंने समय सीमा में ही नर्सिंग होम शाखा के बाबू प्रभारी सोनू दहायत को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया था। प्रमाण के तौर पर डॉक्टर मिश्रा ने अधीनस्थ कर्मचारी को जारी पत्र भी आयोग के समक्ष रख दिया।
कर्मचारी का दावा- मैंने समय सीमा में जानकारी CMHO को दे दी थी
डॉ एन एन मिश्रा के द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्य और कथन के बाद आयोग ने नर्सिंग होम शाखा के प्रभारी सोनू के विरुद्ध ₹25000 जुर्माने का कारण बताओं नोटिस जारी किया। अपनी सफाई में सोनू दहायत ने आयोग के समक्ष एक नोटशीट रखी और दावा किया कि लापरवाही उसकी ओर से नहीं बल्कि डॉक्टर न मिश्रा की तरफ से हुई है। सोनू ने कहा कि उसने समय-सीमा में ही डॉक्टर मिश्रा को जवाब प्रेषित किया गया था और जानकारी समय पर आरटीआई आवेदक को उपलब्ध नहीं करने के लिए डॉक्टर मिश्रा ही जिम्मेदार हैं।
आयोग की जाँच में हुआ खुलासा
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने नोटशीट की जांच की तो पाया कि नोटशीट को सफेद कागज पर तैयार किया गया है। उसपर मात्र सोनू के हस्ताक्षर थे इसके अतिरिक्त नोटशीट की ओरिजिनल कॉपी आयोग में जमा की गई। जबकि ऑफिस रिकॉर्ड से कभी भी ओरिजिनल कॉपी आयोग में जमा नहीं की जाती है उसकी प्रतिलिपि आयोग में जमा की जाती है। ओरिजिनल कॉपी आयोग के पास होने का मतलब है की वह नोटशीट सीएमएचओ कार्यालय के रिकॉर्ड में नहीं है। सिंह की जांच में यह भी खुलासा हुआ की नोटशीट को डॉक्टर मिश्रा को भेजने का कोई साक्ष्य सीएमएचओ कार्यालय में मौजूद नहीं है। आयोग ने डॉक्टर एन एन मिश्रा को भी संपर्क किया तो उन्होंने लिखित में बताया कि इस तरह की कोई नोट शीट उनको कभी जारी ही नहीं की गई थी। सिंह ने सुनवाई के दौरान सोनू से पूछा अगर ओरिजिनल कॉपी आयोग के सामने है तो सीएमएचओ कार्यालय में कौन सी कॉपी है? तो सोनू इस बात को कोई जवाब नहीं दे पाए। सिंह ने अपनी जांच में पाया कि नोट शीट फर्जी है।
जुर्माने के साथ चेतावनी
आयोग की जांच में एक और दस्तावेज सामने आया जिससे यह भी साबित हो गया कि डॉक्टर एन एन मिश्रा ने क्षेत्रीय संचालक के आदेश के बाद जानकारी उपलब्ध करने के लिए दोबारा नर्सिंग होम शाखा प्रभारी सोनू को निर्देशित किया था लेकिन इसके बाद भी सोनू ने जानकारी नहीं दी। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इसमें सोनू की लापरवाही को देखते हुए उस पर ₹15000 जुर्माना लगाया है साथ ही फर्जी नोटशीट तैयार करने के लिए सोनू दहायत को चेतावनी भी जारी की है।
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