मध्य प्रदेश शासन, उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित सरकारी कॉलेज में पढ़ने वाले अतिथि विद्वानों के संगठन अतिथि विद्वान संघ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया की पिछले 25 वर्षों से उच्च शिक्षा को सिर्फ और सिर्फ अतिथि विद्वान ही संचालित कर रहे थे। आर्थिक बदहाली एवं अनिश्चित भविष्य होने के बावजूद लगातार अपना सत प्रतिशत देते रहे।
अतिथि विद्वानों की पंचायत सीएम हाउस में हुई एक उम्मीद थी और बकायदा घोषणा भी हुई। कैबेनिट से मंजूरी मिली कि अतिथि विद्वानों का मूल वेतन 50 हज़ार फिक्स, रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष तक बाहर नहीं होंगे, आज से शासन के कर्मचारी हुए अतिथि विद्वान, लेकिन जब विभागीय आदेश जारी हुआ तो ठीक इसके उलट।अब अतिथि विद्वानों को यही यकीन नहीं हो रहा है कि चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के घोषणाओं, कैबिनेट के निर्णयों की अवहेलना कैसे विभाग कर सकता है। आखिर अतिथि विद्वानों से फिरकी ले कौन रहा?? ।इन सबको लेकर काफ़ी हतोत्साहित है अतिथि विद्वान।
अतिथि विद्वानों के सपनों में फिर,फिरा पानी
अतिथि विद्वानों ने बकायदा प्वाइंट टू प्वाइंट प्रकाश डालते हुए बताया की मुख्यमंत्री की घोषणा क्या थी और उच्च शिक्षा विभाग ने जारी क्या किया:-
1:- अतिथि विद्वानों को 50 हज़ार फिक्स मिलेगा वेतन मानदेय दिहाड़ी से मिलेगा छुटकारा।
घोषणा की अवहेलना
दिहाड़ी 1500 में 500 की वृद्धि करके वेतन नहीं दिहाड़ी मजदूरी का निकला आदेश।
2:- अतिथि विद्वानों की सेवा रहेगी जारी नहीं होंगे फालेंन आउट,फालेंन आउट शब्द खत्म।
घोषणा की अवहेलना
अतिथि विद्वानों को ट्रांसफर पोस्टिंग से किया जाएगा फालेंन आउट,सेवा नही रहेगी जारी।
3:- अतिथि विद्वान आज से हुए शासन के कर्मचारी हर सुविधा मिलेगी अतिथि विद्वानों को।
घोषणा की अवहेलन
किसी भी तरह से अतिथि विद्वान शासन के कर्मचारी नहीं माने जाएंगे और इनको किसी भी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
अब देखा जाए कि आखिर झूठ बोल कौन रहे। मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर भी कोई अमल नहीं आखिर क्यों? इसी को लेकर अतिथि विद्वानों में काफ़ी आक्रोश देखा जा रहा है चुनावी वर्ष में। अतिथि विद्वानों के साथ इनका परिवार और लाखों करोड़ों युवा वोटर विद्यार्थियों की बड़ी फ़ौज है जो निर्णायक भूमिका में नज़र आएंगे आगामी चुनाव में।
डॉ देवराज सिंह,अध्यक्ष अतिथि विद्वान महासंघ का कहना है कि, अतिथि विद्वान सहित पूरे प्रदेश में काफ़ी चर्चा का विषय बना हुआ है कि चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के घोषणाओं के ठीक उलट विरोध अवहेलना करते हुए आदेश जारी किया गया जो बेहद निराशाजनक है।भाजपा सरकार से विनती है कि तत्काल संशोधित आदेश जारी कर अपने घोषणाओं की विश्वशनीयता बनाएं।अतिथि विद्वान मध्य प्रदेश के मूल निवासी है योग्य अनुभवी हैं अब न्याय होना चाहिए।
डॉ आशीष पांडेय, मीडिया प्रभारी अतिथि विद्वान महासंघ का कहना है कि, अतिथि विद्वानों ने सरकार के हर चौखट पर मत्था टेका पर न्याय कहीं नहीं मिला।बड़े ताज़्जुब की बात है सीएम शिवराज सिंह चौहान जी के निर्णय घोषणाओं पर कोई अमल नहीं हुआ।उच्च शिक्षा विभाग ने जो आदेश जारी किया ठीक मुख्यमंत्री जी के घोषणाओं और कैबिनेट के निर्णयों के उलट है।अतिथि विद्वानों को सरकार हल्के में ना ले निवेदन है की तत्काल घोषणाओं को आदेश के रूप में जारी करें।अतिथि विद्वान इनके हजारों परिवार लाखों करोड़ों युवा विद्यार्थी अहम भूमिका निभायेंगे आने वाले समय में।
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