मध्य प्रदेश की राजनीति के बारे में पूर्वानुमान लगाने वालों के लिए यह दृश्य महत्वपूर्ण है। बुधनी विधानसभा सीट से कमलनाथ ने विक्रम मस्ताल को कांग्रेस पार्टी का अधिकार कैसी घोषित करके सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव लड़ने भेजा है और कल शिवराज के घर पर उनका स्वागत सत्कार किया गया। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में यह पहला दृश्य नहीं है। मध्य प्रदेश की राजनीति में यह आम बात है। यहां चुनाव लड़ते हैं लेकिन व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं पालते।
मुख्यमंत्री के भाई ने विरोधी प्रत्याशी को पूरे परिवार से मिलवाया
बुदनी विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा से प्रत्याशी हैं और कांग्रेस की तरफ से विक्रम मस्ताल हैं। शनिवार को विक्रम मस्ताल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बड़े भाई नरेंद्र चौहान से समर्थन मांगने उनके घर जैत गांव पहुंच गए। नरेंद्र चौहान ने भी उनका स्वागत किया। घर के अंदर लेकर गए। पूरे परिवार से मिलवाया। कुशल से पूछी और बुधनी में व्यक्तिगत जीवन के लिए सभी आवश्यक मदद देने का आश्वासन भी दिया।
यही मध्य प्रदेश की राजनीति की पहचान है
पिछले कई दशकों से कई पार्टियों और कई नेताओं ने मध्य प्रदेश की राजनीति को मनचाहा मोड देने की कोशिश की। 2003 में दिग्विजय सिंह, 2018 में शिवराज सिंह चौहान और 2023 में कमलनाथ, मध्य प्रदेश की पॉलिटिकल आइडेंटिटी बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह संभव नहीं है। मध्य प्रदेश में सौहार्द की राजनीति होती है। यहां अक्सर दोनों पार्टियों के प्रत्याशी न केवल एक दूसरे के साथ गले मिलते हैं बल्कि उनके परिवार के लोग विरोधी प्रत्याशी को भी विजय का आशीर्वाद देते हैं। हर प्रकार की व्यक्तिगत मदद करने के लिए तैयार रहते हैं।
मध्य प्रदेश में चुनाव खेल भावना से लड़ा जाता है। सभी लोग स्वयं को अपने प्रतिस्पर्धी से श्रेष्ठ बताने की हर संभव कोशिश करते हैं परंतु मध्य प्रदेश में दुश्मन नंबर वन टू की पॉलिटिक्स नहीं होती। मध्य प्रदेश की पब्लिक भी ऐसे ही नेताओं को पसंद करती है। जो नेता जातिवाद, संप्रदाय, क्षेत्र अथवा अन्य किसी भी प्रकार के वाद का झंडा उठाते हैं, पब्लिक उन्हें अकेला छोड़ देती है।
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