MP NEWS- मंडला कलेक्टर के खिलाफ हाई कोर्ट में पेसा एक्ट के उल्लंघन की याचिका दाखिल

मध्य प्रदेश में पहली बार पेसा एक्ट के उल्लंघन का मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा है। जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश में मंडला कलेक्टर के खिलाफ याचिका दाखिल की गई है। बताया गया है कि, ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए मंडला जिले के कलेक्टर ने पेसा एक्ट का उल्लंघन किया। 

भारत के संविधान की अनुसूची पाँच मे मंडला जिला ट्रायबल क्षेत्र अधिसूचित है

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पेसा एक्ट के उल्लघन किए जाने का मध्य प्रदेश हाईकोर्ट मे  पहला मामला सामने आया है उक्त मामला जनहित याचिका WP/16897/2023 (PIL) दाखिल की गई है। याचिका कर्ता अतिपिछड़ा वर्ग उत्थान समिति के अध्यक्ष संजय सेन द्वारा अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह के माध्यम से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर मे याचिका दायर की गई है। जिसमे मध्य प्रदेश शासन तथा मंडला कलेक्टर पर आरोप लगाया गया है, कि भारत के संविधान की अनुसूची पाँच मे मंडला जिला ट्रायबल क्षेत्र अधिसूचित है, उक्त जिला मे मध्य प्रदेश (रेत खनन परिवहन भंडारण एवं व्यापार नियम 2019 के तहत अनुज्ञप्ति हेतु निविदाए आमंत्रित करके पेसा कानून के प्रावधानों के विपरीत तथा संबंधित ग्राम पंचायतों की अनुशंसा के बिना ही रेत खनन हेतु अनुज्ञप्तिया जारी की गई है। 

आदिवासियों की रेत का ठेका करोड़पति ठेकेदारों को दे दिया

जबकि भारत की संसद ने पंचायत उपवंध (अनुसूचित क्षेत्रो पर विस्तार) अधिनियम 1996 की धारा 4 (K) (I) के तहत आधिसूचित ट्रायबल क्षेत्र मे किसी भी प्रकार के खनिज के उत्खनन पूर्व संबंधित ग्राम पंचायतों की अनुशंसा अति आवश्यक रूप से लिया जाना है तथा मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम 1996, के नियम 21(2) मे स्पष्ट प्रावधान है, कि अनुज्ञप्ति के लिए प्रथम वरीयता तथा प्राथमिकता अधिसूचित क्षेत्रो की जंनजातियों को दिया जाना आवश्यक है। उक्त समस्त नियम कानूनों को दर किनार करते हुए मध्य प्रदेश शासन तथा मंडला कलेक्टर द्वारा अधिसूचित ट्रायबल मंडला जिला की समस्त रेत खदानों को रेत के बड़े ठेकेदारो/ कंपनियां/माफियाओ को अनुज्ञप्तियां जारी कर दी गई है, जो नियम विरूद्ध है। 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जवाब मांगा

जिसके लिए मध्य प्रदेश शासन के उच्च पदाधिकारी तथा तत्कालीन कलेक्टरों की भूमिका संदिग्ध है। उक्त याचिका द्वारा की प्रारम्भिक सुनवाई मुख्य न्यायमिर्ति रवि मलिमठ तथा विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा की गई। सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह द्वारा कोर्ट मे अपत्ति उठाई गई की याचिका मे संबंधित ठेकेदारों को पक्षकार नहीं बनाया गया है, तब कोर्ट ने महाधिवक्ता की अपत्ति को खारिज करते हुए कहा ही कानून के विरूद्ध अपनाई गई प्रक्रिया मे लाभ प्राप्त करने वाले पक्ष/अनुज्ञप्तिधारीयो को पक्षकार बनाया जाना आवश्यक नही है। आपने पेसा कानून के प्रावधानों के अनुसार रेत की अनुज्ञाप्तिया जारी की है या नही इसका जबाब दाखिल करें। याचिका कर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह तथा रूप सिंह मरावी ने की। 

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