Madhya Pradesh Government employees news -
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास में विगत 11 सितंबर को आयोजित अतिथि विद्वान पंचायत का आयोजन फेल हो गया, क्योंकि मुख्यमंत्री ने इस पंचायत में जो घोषणाएं की थी, उनके ऑफिस ने इसकी जानकारी उच्च शिक्षा विभाग को नहीं दी और उच्च शिक्षा विभाग ने घोषणाओं से संबंधित आदेश जारी नहीं किया। उल्टा जिस प्रकार के आदेश जारी हुए उसे अतिथि विद्वान और ज्यादा भड़क गए।मुख्यमंत्री कार्यालय ने उच्च शिक्षा विभाग तक घोषणाओं की जानकारी ही नहीं भेजी
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरकारी महाविद्यालय में विगत 20 वर्षों से अध्यापन कार्य करते आ रहे अतिथि विद्वान अपने सुरक्षित भविष्य और वेतन विसंगतियों को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत रहे हैं। विपक्ष में रहते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो वादे अतिथि विद्वानों से किए थे उन्हीं मुद्दों को लेकर अतिथि विद्वान पंचायत में मुख्यमंत्री संवेदनशील नजर आए। उन्होंने कई चर्चित घोषणा की, जिसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं अतिथि विद्वानों द्वारा सराही गई घोषणा थी कि लगातार कार्य कर रहे किसी अतिथि विद्वान को अब फॉलन आउट या सेवा से बाहर नहीं किया जाएगा, किंतु लगभग 25 दिन बीतने के बावजूद उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ना तो इस संबंध में कोई प्रगति दिखाई गई है और ना ही कोई विभागीय आदेश अब तक जारी किया गया है।
उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि विद्वानों के जख्मों पर नमक छिड़का
हद तो तब हो गई जब अतिथि विद्वानों के जख्मों पर नमक छिड़कते हुए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा बड़ी संख्या में स्थानांतरण कर दिए गए और चंद रुपये दिहाड़ी के बढ़ाने का आदेश जारी कर दिया। विदित हो कि चंद दिनों में आचार संहिता लगने वाली है एवं पूरा प्रदेश एवं सरकार चुनावी मोड में है। ऐसे समय पर यह स्थानांतरण न सिर्फ प्रदेश के उच्च शिक्षित वर्ग में असंतोष पैदा करने वाले बल्कि सर्वाधिक चर्चा का केंद्र बन गए हैं।
अतिथि विद्वान महासंघ प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह मांग करता है की उनके द्वारा अतिथि विद्वान पंचायत में की गई घोषणाओं को लागू करवा कर चुनावी समय में आम जनता के बीच अपनी विश्वसनीय एक बार पुनः साबित करें।विदित रहे कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पहले ही अतिथि विद्वानों को नियमित करने की घोषणा कर चुके हैं ऐसी स्थिति में अतिथि विद्वानों का मुद्दा जो पूर्व में सरकारों के बनने बिगड़ने का साक्षी रहा है विधानसभा चुनावों का मुख्य मुद्दा बन सकता है
हम उच्च शिक्षा विभाग के आदेश का विरोध करते हैं: अतिथि विद्वान महासंघ
अतिथि विद्वान उच्च शिक्षा विभाग के मात्र 2000 रुपये दिहाड़ी के आदेश का विरोध करते हैं। हमारी यह मांग है की पंचायत में मुख्यमंत्री जी की सभी छः घोषणा के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग तत्काल यह आदेश जारी करे की कोई भी अतिथि विद्वान सेवा से बाहर नहीं होगा।अतिथि विद्वानों के पदों को भरा हुआ माना जाए और किसी भी स्थानान्तरण या पदस्थापना से सेवा से पृथक न किया जाय।अतिथि विद्वान 65 साल तक अपनी सेवाएं दे सकें।साथ ही जो अतिथि विद्वान अभी फॉलन आउट हैं उन सभी को एक साथ सेवा में वापस लिया जाए।अतिथि विद्वानों को मासिक 50 हज़ार वेतन दिया जाए।
डॉ आशीष पांडेय, मीडिया प्रभारी अतिथि विद्वान महासंघ
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