मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं सहित कई अधिकारियों और पॉलीटिकल एनालिस्ट का मानना है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है। इस विश्वास के जमने से पहले तक कमलनाथ मध्य प्रदेश के सर्वमान्य नेता हुआ करते थे। उन्हें फ्री हैंड मिला हुआ था लेकिन अब बात बदल गई है। कैंडिडेट सिलेक्शन के मामले में उन्हें फ्री हैंड नहीं मिल पा रहा है। सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ और राहुल गांधी के बीच भारी तनाव की स्थिति है।
कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची आचार संहिता से 6 महीने पहले जारी होनी थी
यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों की पहली सूची मध्य प्रदेश में चुनाव आचार संहिता की संभावित तारीख से 6 महीने पहले जारी होनी थी। यह फैसला स्वयं कमलनाथ ने लिया था और पत्रकारों को बताया था परंतु अब, जब पत्रकार इस बारे में सवाल करते हैं तो कमलनाथ असहज हो जाते हैं। कमलनाथ अपने पसंदीदा प्रत्याशियों की लिस्ट तीन बार फाइनल अप्रूवल के लिए दिल्ली लेकर जा चुके हैं परंतु अब तक उनकी लिस्ट को एक भी बार अप्रूवल नहीं मिला।
राहुल गांधी के पास मध्य प्रदेश के एक-एक दावेदार की कुंडली है
शनिवार को AICC के ऑफिस में सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक में कमलनाथ 140 प्रत्याशियों की लिस्ट लेकर गए थे, लेकिन इसमें से 40 नाम को भी मंजूरी नहीं दी गई। कांग्रेस पार्टी 230 विधानसभा में से 30 विधानसभा में भी अपने प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। सूत्रों का कहना है कि CEC की बैठक में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खड़गे, हाई कमान श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी मौजूद थे। इस मीटिंग में राहुल गांधी के पास एक फाइल थी। इस फाइल में मध्य प्रदेश की 230 विधानसभाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दर्ज थी। मीटिंग के दौरान कमलनाथ की सर्वे रिपोर्ट और राहुल गांधी की सर्वे रिपोर्ट में बड़ा अंतर दिखाई दिया। यही कारण है कि, ऐसी विषम स्थिति बन जाने के बावजूद कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई लिस्ट जारी नहीं हो पाई। यह मीटिंग 7 दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
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