जहां आज पूरी दुनिया WORLD SMILE DAY बना रही है परन्तु मध्यप्रदेश के व्यवसायिक प्रशिक्षक आज शासन से निराश-हताश होकर काली पट्टी के साथ विरोध करने को मजबूर है। देश की शक्ति युवाओ को कौशल दे रहे प्रशिक्षको को आज अपने अधिकारों के लिए शासन के रूखे रवैये का विरोध करना पढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिले
विदित है कि व्यवसायिक प्रशिक्षक ,नवीन व्यवसायिक शिक्षा के अंतर्गत मध्य प्रदेश में है। पिछले 8-9 वर्षों से विभिन्न शासकीय स्कूलो में हुनर की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं और हुनरमंद विद्यार्थी आज स्वरोजगार और रोजगार के रास्ते चल रहे है किन्तु सरकार की अनदेखी के करण व्यवसायिक प्रशिक्षक का रास्ता मुश्किलों भरा हो गया है इससे निदान पाने के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षकों ने माननीय मुख्यमंत्री से भेटं कर, सरकार के जन प्रतिनिधि एवं शासन के अधिकारीयों के समक्ष अपनी अधिकारों की बात अनुशासन के साथ अनेको बार रखीं किन्तु अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आये। न सामान वेतन का अधिकार मिला , न मातृत्व अवकाश और न ही कोई जॉब सिक्यूरिटी।
इसलिए व्यवसायिक प्रशिक्षक के पास कोई विकल्प नहीं रह गया है। जो विद्यार्थियों में कौशल का विकास कर आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण करने में महत्वपूर्ण योगदान देते आएं है परन्तु विद्यार्थियों का भविष्य बनाने वाले इन प्रशिक्षकों का ही भविष्य सुरक्षित नहीं है।
गौरतलब है कि अपने हक की बात रखने पर नॉकरी से टर्मिनेट करने का भी व्याप्त रहता आया है हाल ही में कई उदाहरण देखने को मिले जिसमे कई व्यावसायिक प्रशिक्षकों को अपनी नॉकरी से हाथ धोना पड़ा जिससे अब इनमें आक्रोश का माहौल बन चुका है। जहाँ प्रदेश के मुखिया कर्मचारियों को सैंकड़ों सौगाते बांट रहे है वही ये व्यावसायिक प्रशिक्षक अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी कड़ी में दिनांक 6/10/2023 को जिला के व्यवसायिक प्रशिक्षकों ने अपने हुनर भरे हाथों में काली पट्टी बांध विरोध प्रदर्शित किया।
नवीन व्यावसायिक शिक्षा प्रशिक्षक महासंघ अपनी मांगों को अनुशासित तरीके से शासन के सामने उठता रहा है एवम आगे भी तत्पर रहेगा।
मध्य्प्रदेश के व्यावसायिक प्रशिक्षको की प्रमुख माँगे:-
1. स्थाई जॉब पालिसी एवं स्थान्तरण नीति।
2. व्याख्याता के समान समान कार्य समान वेतन एवं प्रतिवर्ष सम्मानजनक 10% तक वेतनवृद्धि ।
3.विभिन्न शासकीय अवकाश जैसे मातृत्व अवकाश, मेडिकल अवकाश इत्यादि।
4.विभिन्न बीमा योजनाओं का लाभ।
5.विभिन्न कारणों से निकाले गए विटी को पुनः प्राथमिकता से यथावत रखना।
6.अन्य शासकीय-संविदा कर्मियों की भांति समस्त लाभ और विभागीय सुविधा का लाभ।
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