मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के कारण सरकारी स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरीके से बंद हो गई है। अक्टूबर का महीना खत्म हो गया। नवंबर में दीपावली का त्यौहार है और सरकारी स्कूलों में अब तक 35% कोर्स पूरा हुआ है। 3 महीने में 65% कोर्स किस प्रकार से पढ़ाया जाएगा, किसी के पास कोई जवाब नहीं है।
शिक्षकों की ट्रेनिंग हो गई लेकिन रिमेडियल क्लास शुरू नहीं हुई
हायर सेकंडरी और हाईस्कूल की परीक्षाएं शुरू होने से पहले विद्यार्थियों के लिए रेमेडियल क्लास शुरू की जाती थीं, लेकिन अभी तक यह कक्षाएं भी स्कूलों में शुरू नहीं हुई हैं हालांकि इन कक्षाओं के लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग तो हो चुकी है। इन कक्षाओं में उन विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है जो पढ़ाई में कमजोर होते हैं, जिनका त्रैमासिक रिजल्ट कमजोर रहता है।
इस रिजल्ट के बाद इन विद्यार्थियों के उन क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाता है जिनमें यह कमजोर रहते हैं। रेमेडियल क्लास अभी शुरू नहीं हो पाई हैं, इसके बाद नवंबर में चुनाव और दीपावली का त्योहार है, ऐसे में कभी स्कूलों का अवकाश रहेगा, ताे कभी शिक्षक ड्यूटी में रहेंगे और स्कूल भवनों में मतदान केंद्र बनेंगे। विद्यार्थियों की अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर पढ़ाई कराना भी इन हालातों में मुश्किल है।
ऐसे में नवंबर माह में ज्यादा पढ़ाई होना संभव दिखाई नहीं देता है। दिसंबर में छमाही परीक्षा का आयोजन किया जाना है, इस माह का ज्यादातर हिस्सा, परीक्षा और मूल्यांकन में चला जाएगा। इसके बाद सिर्फ जनवरी माह ही बचता है जिसमें विद्यार्थियों का कोर्स भी पूरा कराना होगा, उनका रिवीजन भी कराना होगा।
पिछले साल हायर सेकंडरी का रिजल्ट 45 फीसदी रहा था
चुनाव पहले से ही तय था, एक माह पहले फरवरी में वार्षिक और दिसंबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा कराए जाने की घोषणा पहले कर दी गई थी। पिछले साल हायर सेकंडरी का रिजल्ट भी 45 फीसदी रहा था। इसको ध्यान में रखते हुए सत्र शुरू होने के साथ ही तैयारी शुरू कराई जाना चाहिए थी। अतिरिक्त कक्षाएं आयोजित की जाना चाहिए थी, रेमेडियल कक्षाएं भी अक्टूबर के शुरुआत में आयोजित होना चाहिए थीं। लेकिन यह सब नहीं किया गया अब विद्यार्थियों की पढ़ाई फंस गई है।
प्री-बोर्ड परीक्षा कब होगी, पता नहीं
स्कूलों में प्री-बोर्ड परीक्षा का कांसेप्ट शुरू किया गया था, इसका उद्देश्य था छमाही परीक्षा के बाद कोर्स पूरा कराया जाए और इसके बाद प्री-बोर्ड परीक्षा का आयाेजन किया जाए। यह परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर आयोजित की जाती थी, इसके मूल्यांकन में छात्रों में जो कमियां मिलती थीं उनको दुरुस्त कराया जाता था।
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