Madhya Pradesh state service examination 2019 विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। High Court of Madhya Pradesh के आदेश पर Madhya Pradesh Lok Seva Aayog Indore ने एक अतिरिक्त परीक्षा का आयोजन किया और नॉर्मलाइजेशन पद्धति से रिजल्ट घोषित कर दिया। अब मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंच गया है। Supreme Court of India ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से पूछा है कि, नॉर्मलाइजेशन तो कंप्यूटर आधारित परीक्षा में होता है, लिखित परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन कैसे किया।
ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन का अभियान
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2019 से जुड़े विवाद में ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के विधिक सहयोग से सुप्रीम कोर्ट मे जबलपुर हाईकोर्ट के सिंगल तथा डिवीजन बैच के आदेशों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। उक्त चुनौती देने वाली याचिका क्रमांक SLP (C) 5817/2023 दिपेन्द्र यादव एवं अन्य बनाम मध्य प्रदेश शासन एवं अन्य, क़ी आज दिनांक 10/10/2023 को जस्टिस सी.टी. रविकुमार तथा जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ मे सूचीबद्ध था जिसकी विस्तृत सुनवाई की गई।
राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 मे नॉर्मलाइजेशन का प्रावधान नहीं
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओ क़ी ओर से बताया गया कि लोक सेवा आयोग ने मनमाने रूप से बिना किसी नियम के आरक्षित वर्ग के लिए पृथक से विशेष मुख्य परीक्षा आयोजित कर ली, जो विधि के सिद्धांतो के प्रतिकूल हैं, तत्सबंध में हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा पारित आदेश दिनांक 29/11/22 तथा रिट अपील मे पारित आदेश दिनांक 25/01/2023 त्रुटिपूर्ण हैं। उक्त दोनों आदेशों मे विधायिका द्वारा बनाए कानून को नजरअंदाज करके पारित किए गए हैं तथा हाईकोर्ट के उक्त आदेशों को व्यवहारिक रूप मे लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 मे नॉर्मलाइजेशन करने का कोई प्रावधान नहीं है और यदि आरक्षित वर्ग के छात्रों की विशेष परीक्षा आयोजित कराई जाती है तो यह संविधान के अनुच्छेद 14 के प्रतिकूल है तथा मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 2019 की परीक्षा में व्यापक तौर पर नियम विरुद्ध तरीके से विशेष परीक्षा आयोजित कराकर नियम विरुद्ध नॉर्मलाइजेशन पद्धति अपना कर कॉम्प्लिकेशन पैदा कर दिए गए हैं।
लिखित परीक्षा का नॉर्मलाइजेशन संभव नहीं
जबकि व्यवहारिक रूप में लिखित परीक्षा का नॉर्मलाइजेशन किसी भी फार्मूले के तहत संभव ही नहीं है। याचिकाकर्ता के उक्त समस्त तथ्यों को गंभीरता से लेते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोक सेवा आयोग से जानना चाहा कि वर्तमान में उक्त परीक्षा की स्टेटस क्या है। लोक सेवा आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बताया गया कि उक्त प्रक्रिया ऑलमोस्ट कंप्लीट हो चुकी है। अब किसी भी प्रकार की परीक्षा कराया जाना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को निर्देशित किया है कि वह वह शपथ पत्र पर लिखित में बताएं कि किस नियम तथा फार्मूले के आधार पर आपने लिखित परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन पद्धति अपनाई है, तथा याचिकाकर्ताओं के रिजल्ट का भी शपथ पत्र के साथ स्टेटस इस न्यायालय में प्रस्तुत करें। प्रकरण की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर 2023 नियत की गई है।
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