नवरात्रि व्रत के संदर्भ में कुछ लोग तर्क देते हैं कि मां कभी अपने पुत्र को भूखा रखना नहीं चाहती। अत: नवरात्रि के व्रत पाखंड से ज्यादा कुछ नहीं हैं। ऐसे लोगों के संदर्भ में विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है कि, उन्होंने कभी शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रि का व्रत करने से मंगल, राहु और शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। यानी ऐसे कष्ट से मुक्ति मिल जाती है जिसके कारण पूरा जीवन ही अस्त-व्यस्त हो जाता है।
नवरात्रि के उपवास एवं उपासना - कमजोर बुध ग्रह वालों के लिए
लाल किताब के अनुसार देवी दुर्गा को बुध ग्रह का कारक माना गय़ा है। जिनकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ होता है वे शिक्षा में विशेषकर गणित में कमजोर, व्यापार में असफल, अनुमान लगाने में कमजोर होते हैं। ऐसे लोग जल्दी ही क्रोध में आकर संयम की कमी के कारण अपना ही अहित कर लेते है। नवरात्रि में मां दुर्गा की सामान्य उपासना उन्हे शिक्षा और व्यापार में सफलता प्राप्त करने की ऊर्जा प्रदान करती है। ऐसे लोग का बुध ग्रह अच्छा होता है। फलस्वरूप ये लोग अच्छी वाणी द्वारा सफल व्यापारी और कुशल प्रशासक बनते है।
मंगल दोष से मुक्ति के लिए माता के भजन और रात्रि जागरण
मां भगवती की जो आरती है उसमे एक लाइन आती है की "चौसठ योगिनी मंगल गावत नृत्य करत भैरो। इसका अर्थ यह है की जब हम नवरात्रि व्रत करते है उस समय हमारी जन्म कुंडली में मंगल दोष जिसके कारण हमे हर कार्य में असफलता निराशा या आंतरिक क्रोध का सामना करना पड़ता है जिससे लड़ाई झगडे, कोर्ट केस, सम्बंध विच्छेद का सामना करना पड़ता है, उन सभी से मुक्ति मिलती है। मंगल ग्रह के दोष दूर होने से मानसिक शांति, धैर्य तथा सफलता प्राप्त होती है।
लॉन्ग के जोड़े का हवन राहु और शनि की शांति के लिए
लाल किताब में भैरोजी को शनि तथा राहु ग्रह का देवता माना गय़ा है अर्थात माता जी के पूजन से आपकी जैन पत्रिका में शनि और राहु के अशुभ प्रभाव भी दूर होते है। इस तरह मंगल, राहु और शनि ग्रह जो की मानव जीवन की अधिकतर परेशानियों के कारण है इनकी शांति से जीवन में सुख शांति महसूस होती है।
नवरात्रि का उपवास - कमजोर इम्युनिटी पावर वाले लोगों के लिए जीवनदाई
हमेशा सभी नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल में ही आती है। इस समय एक ऋतु समाप्त होती है दूसरी प्रारम्भ होती है। इस समय तापमान जलवायु में आने वाला परिवर्तन मानव शरीर झेल नही पाता। फलस्वरूप पेट की तथा अन्य बीमारियों का आक्रमण हो जाता है तथा इन नौ दिन में आहार विहार में किया गय़ा संयम आपको दूसरी ऋतु के लिये तैयार करता है। साथ ही व्रत तथा साधना के प्रभाव से व्यक्ति दिव्यता तथा स्वयं को ऊर्जावान (चार्ज) महसूस करता है। इस तरह हमारे सनातन ग्रंथों में बताये गए सारे पर्व जातक को स्वस्थ व उर्जीत रखने के वैज्ञानिक सूत्र है इनको करने से जातक स्वस्थ व दीर्घायु रहता है।
नवरात्रि का फायदा - विद्यार्थियों तथा व्यापारियों के लिये
नवरात्रि में मां की आराधना हमारे अंदर विद्यमान शक्ति (ऊर्जा) को महसूस करने के लिये है।इससे हमारे प्राण प्रखर तथा बुद्धि तेजस्वि होती है। व्यापारी तथा विद्यार्थियों को सभी प्रकार की प्रतिस्पर्धा से आगे निकलने के लिये इसी दिव्यशक्ति की आवश्यकता होती है। नवरात्रि के नौ दिन किया गया खानपान का संयम आपको इस दिव्य ऊर्जा से युक्त कर देता है तब आप अपने सभी प्रतिद्वंदीयों से आगे तथा सफल रहते है।