नवरात्रि कन्या पूजन क्यों करते हैं कन्या भोज पूजा से क्या लाभ होता है - why Navratri Kanya Pujan and benefits

Bhopal Samachar
उत्तर भारत के शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो कन्या की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन कन्या की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार कन्या की पूजा से राज्यपद, पांच कन्या की पूजा से विद्या, छ: कन्या की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात कन्या की पूजा से राज्य, आठ कन्या की पूजा से संपदा और नौ कन्या की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व तक की प्राप्ति संभव है। 

व्रत और कन्या पूजन के बिना नवरात्र पूजन अधूरा है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं। शास्‍त्रों के अनुसार कन्‍या पूजन के लिए दुर्गाष्‍टमी के दिन को सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण और शुभ माना गया है। कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं।

नवरात्रि कन्या पूजन की विधि

  • कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है।
  • गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं।
  • अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए।
  • उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए।
  • फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं।
  • भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें।
  • नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है।

कन्या की आयु के अनुसार माता का स्वरूप - दुर्लभ जानकारी

  • दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं। 
  • तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है। 
  • त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्‍य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
  • चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है। इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है। 
  • पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है। रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है।
  • छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है। कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है। सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है। चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • आठ वर्ष की कन्या शाम्‍भवी कहलाती है। इसका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। 
  • नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं।
  • दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है। 

उद्घोषणा- उपरोक्त जानकारी एवं दिशा निर्देश भारतीय शास्त्रों, मान्यताओं एवं परंपराओं पर आधारित है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न मान्यताएं हो सकती हैं अतः कृपया उपरोक्त का पालन करने से पहले अपने फैमिली पंडित अथवा वरिष्ठ सदस्यों से परामर्श अवश्य करें।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!