मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहा है लेकिन राजधानी भोपाल में चुनावी माहौल में भी भ्रष्टाचार भारी है। खजूरीकला भोपाल बाईपास रोड घोटाले के कारण 5000 वोट प्रभावित होने वाले हैं लेकिन चीफ इंजीनियर, ठेकेदार को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
भोपाल नगर निगम- 10 लाइन की जांच रिपोर्ट, ठेकेदार को क्लीन चिट
नगर निगम के चीफ इंजीनियर श्री आरके सक्सेना ने तीन दिन तक मामले की जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट कमिश्नर भोपाल नगर निगम को सौंप दी है। यह रिपोर्ट मात्र एक पेज की है जिसमें 10 लाइन लिखी हुई है। इसमें सड़क के खराब होने और ठेकेदार द्वारा बिजली के खभों की शिफ्टिंग के बिना सड़क बना देने के लिए ठेकेदार को जिम्मेदार नहीं बताया गया है। अलबत्ता इस रिपोर्ट में किसी को भी जिम्मेदार नहीं बताया गया है। इस रिपोर्ट को देखकर कमिश्नर नाराज हो गए और उन्होंने दोबारा डिटेल रिपोर्ट मांगी है। नगर निगम में कागजी घोड़ों के बीच लड़ाई चल रही है और सड़क बन जाने के बाद भी पब्लिक परेशान है।
BHOPAL TODAY- 8 साल के संघर्ष के बाद बनी सड़क 8 दिन भी नहीं चली
खजूरी कला से भोपाल बायपास रोड तक 1.64 किलोमीटर का एमजीएम मार्ग लंबे संघर्ष के बाद बना है। अवधपुरी की 39 कालोनियां इस मार्ग पर डिपेंड करती है। यहां से हर रोज करीब 30000 वाहन गुजरते हैं। चुनाव से पहले जब लोगों ने अपना संघर्ष तेज कर दिया तो सरकार ने आनन- फानन में लगभग 3 करोड रुपए खर्च करके सड़क बनवाई। 8 साल के लंबे संघर्ष के बाद बनी सड़क 8 दिन भी नहीं चल पाई। पापड़ की तरह उखड़ गई। लोगों ने अपने हाथ से सड़क तोड़कर प्रदर्शन किया।
बड़ी मुश्किल से जांच की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन ठेकेदार की पावर देखिए, चीफ इंजीनियर अपनी प्रतिष्ठा और अपनी नौकरी दांव पर लगाकर ठेकेदार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
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