छोटे व्यापारी के लिए कंपोजिशन स्कीम बेहद सुविधा जनक है। यह इस योजना के तहत पंजीकृत किसी व्यवसाय या व्यक्ति को अपने कारोबार के विशिष्ट प्रतिशत पर कर का भुगतान करने की अनुमति देता है। इसमें टैक्स को हर महीने नियमित के बजाय हर तिमाही में देना होगा। जीएसटी के तहत यह संरचना योजना 1.5 करोड़ रुपये से कम के टर्नओवर के करदाताओं के लिए सरकार द्वारा पेश की गई थी।
चार्टर्ड अकाउंटेंट सौरव के मुताबिक कंपोजीशन लेवी कर लगाने का एक वैकल्पिक तरीका है । कंपोजीशन स्कीम का उद्देश्य सरलता लाना और छोटे करदाताओं के लिए अनुपालन लागत कम करना है। करदाताओं के लिए जीएसटी के तहत एक सरल और आसान योजना है। छोटे करदाता कठिन जीएसटी औपचारिकताओं से छुटकारा पा सकते हैं और कारोबार की निश्चित दर पर जीएसटी का भुगतान कर सकते हैं। सालाना 50 लाख रुपए तक का कारोबार करने वाले रेस्टोरेंट कंपोजीशन स्कीम में शामिल हो सकते हैं।
रेस्टोरेंट्स (बिना एल्कोहल सर्व किए) का व्यापार कर रहे हैं तो आपको 5 फीसद जीएसटी लागू एवं अगर सर्विस दे रहे हैं तो आपके ऊपर छः पर्सेंट जीएसटी लागू होता है। गौरतलब है कि कंपोजिशन स्कीम में खरीद पर जो जीएसटी का भुगतान किया हुआ है जिसे हम कानूनी भाषा में “आईटीसी” कहते हैं उसका कोई रिबेट इसमें नहीं मिलता है। सबसे बड़ी सहूलियत कंपोजिशन स्कीम की यह है कि इसमें हर तिमाही सिर्फ एक रिटर्न ही फाइल करना होता है और पूरे साल में सिर्फ़ चार रिटर्न्स ही फाइल करने होते हैं।
सभी दस्तावेजों पर एवं व्यापारिक दुकान के बोर्ड पर "कंपोजिशन टैक्सपेयर" लिखना अनिवार्य है।
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