HDFC ERGO जनरल इंश्योरें सजनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ कंज्यूमर फोरम ने महत्वपूर्ण डिसीजन सुनाया है। SF के हेड कांस्टेबल की एक्सीडेंट में मौत के मामले में उसके द्वारा लिए गए 14 लाख रुपए के होम लोन और एमी की रकम ₹300000 ब्याज सहित लौटाने आदेश दिए हैं।
मृतक द्वारा लिए गए 14 लाख रुपए के होम लोन इंश्योरेंस को HDFC ERGO बीमा कंपनी द्वारा अदा करने से मना कर दिया था। कंपनी द्वारा क्लेम खारिज किए जाने के बाद अमृत हेड कांस्टेबल की विधवा पत्नी नेकंज्यूमर फोरम में केस दाखिल किया था। पीड़ित पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूतों को इंश्योरेंस कवर के लिए मजबूत आधार मानते हुए फोरम ने होम लोन इंश्योरेंस कंपनी को लोन की पूरी राशि व पत्नी द्वारा दो साल में अदा की गई 3 लाख रुपए की EMI भी ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला और कैसे इंश्योरेंस कंपनी सड़क दुर्घटना को बताती रही सुसाइड...
मामला इंदौर स्थित एसएफ में पदस्थ हेड कांस्टेबल राधाकृष्ण मिश्रा (50) निवासी महेश गार्ड लाइन का है। उनके परिवार में पत्नी रीता तथा 12 वर्षीय बेटा है। मिश्रा ने अक्टूबर 2020 में एचडीएफसी बैंक से 14 लाख रुपए का होम लोन लिया था। इसी के साथ उन्होंने HDFC ERGO जनरल से इस होम लोन का इंश्योरेंस कराया था। उनके द्वारा हर माह होम लोन की 11,279 रुपए की ईएमआई भरी जा रही थी। इस बीच 16 दिसम्बर 2021 को भिंड के पास काबर नदी पर बस हादसे में उनकी मौत हो गई।
कंपनी ने ऐसे किया गुमराह
इस मामले में उनकी पत्नी रीता ने कुछ समय बाद होम लोन इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क किया और मामले से अवगत कराया। इस पर कंपनी ने अपनी ओर से सर्वेयर से सर्च रिपोर्ट तैयार करवाने की बात कही। कुछ दिन बाद कंपनी ने होम लोन का इंश्योरेंस यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मिश्रा की मौत बस हादसे से नहीं हुई, बल्कि उन्होंने आत्महत्या की है। मृतक की पत्नी पर होम लोन की राशि चुकाने का दबाव बनाया जाने लगा। पीड़ित महिला हर माह होम लोन की ईएमआई चुका रही थी। इस बीच उसने अक्टूबर 2022 में एडवोकेट अपूर्व जैन के माध्यम से डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम की शरण ली।
पूरी होम लोन की राशि और ईएमआई से अब राहत
एडवोकेट जैन के तर्क और तथ्यों को फोरम ने मजबूत आधार मानते हुए इंश्योरेंस कंपनी को मिश्रा द्वारा लिए गए होम लोन की पूरी राशि बैंक को चुकाने, पति की मौत के बाद पत्नी रीता द्वारा दो साल तक बैंक को ईएमआई के रूप में चुकाए गए करीब 3 लाख रुपए लौटाने का आदेश दिया। एक माह में राशि नहीं चुकाने पर 8% ब्याज भी देना होगा। इसके अलावा पत्नी को हुए मानसिक त्रास के लिए 50 हजार और केस पर खर्च हुए 25 हजार रुपए भी अदा करने का आदेश दिया।
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