भारत में इन दिनों विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। मध्य प्रदेश में वोटिंग हो चुकी है। ऐसे माहौल में कांग्रेस पार्टी को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। कांग्रेस पार्टी राज्य में लगने वालेप्राइवेट कारखाने में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान का वचन देती है परंतु पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने ऐसे आरक्षण के प्रावधान को रद्द कर दिया है।
कांग्रेस पार्टी की घोषणा संविधान के भाग-3 का उल्लंघन
निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण के कानून की अधिसूचना हरियाणा राज्य की कांग्रेस सरकार ने 2021 में जारी की थी। हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020, 15 जनवरी से लागू हुआ। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। साथ ही कहा कि राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम, 2020 अत्यंत खतरनाक है और संविधान के भाग-3 का उल्लंघन है।
क्षेत्र के आधार पर आरक्षण नहीं दे सकते
हरियाणा में कांग्रेस सरकार की नई पॉलिसी को औद्योगिक निकायों ने चुनौती दी थी। दलील दी गई कि हरियाणा सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण लाना चाहती है, जो कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। निजी क्षेत्र की नौकरियां कौशल पर आधारित होती हैं। भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी शिक्षा के मुताबिक देश के किसी भी हिस्से में नौकरी करने का संवैधानिक अधिकार है। याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायशी आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी के अवसर बढ़ा देगा।
हाई कोर्ट ने हरियाणा राज्य सरकार का कानून रद्द किया
हरियाणा सरकार के कानून में कहा गया था कि यह नियम 10 साल तक प्रभावी रहेगा। स्टार्टअप को 75 प्रतिशत आरक्षण लागू करने से कानून में 2 साल की छूट इी गई थी। इसके अलावा ITI पास युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देने को कहा गया था। हाईकोर्ट ने इस कानून के खिलाफ दाखिल इन सभी याचिकाओं को सही करार देते हुए हरियाणा सरकार के कानून को सिरे से खारिज करते हुए इसे रद्द किए जाने के आदेश दे दिए हैं।
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